Niva Bupa के ग्राहकों को बड़ा झटका: लाखों की Health Insurance लेने के बावजूद अब खुद भरना होगा अस्पताल का बिल, ये है बड़ा कारण

punjabkesari.in Wednesday, Sep 03, 2025 - 06:46 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अगर आपके पास Niva Bupa का हेल्थ इंश्योरेंस है और आप बेफिक्र हैं कि अस्पताल में भर्ती होने पर कैशलेस इलाज मिलेगा, तो अब सावधान हो जाइए। क्योंकि अब लाखों की पॉलिसी भी आपको इलाज के समय तुरंत राहत नहीं दिला पाएगी। बीमा कंपनी और अस्पताल के बीच हुए एक बड़े विवाद के चलते देशभर में Max Hospitals में कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा Niva Bupa ने बंद कर दी है।

निवा बूपा ने मैक्स हॉस्पिटल्स के साथ कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है। यानी अब अगर किसी बीमाधारक को मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़े, तो उसे पहले खुद खर्च करना होगा। इलाज का पैसा बाद में रीइंबर्समेंट के जरिए क्लेम किया जा सकेगा, लेकिन अस्पताल के दरवाज़े पर कैश के इंतज़ाम की जिम्मेदारी पूरी तरह मरीज की होगी।

यह फैसला तब आया जब निवा बूपा और मैक्स हॉस्पिटल्स के बीच मई 2025 में खत्म हुए पुराने समझौते को लेकर नए प्रीमियम पर सहमति नहीं बन पाई। इस असहमति का खामियाजा भुगतना पड़ा उन बीमाधारकों को, जिन्होंने हर साल मोटा प्रीमियम इसलिए चुकाया कि जरूरत पड़ने पर उन्हें 'कैशलेस इलाज' की सुविधा मिलेगी।

निवा बूपा के सीओओ डॉ. भवतोष मिश्रा का कहना है कि यह समस्या केवल उनकी कंपनी तक सीमित नहीं है। स्टार हेल्थ, केयर हेल्थ और बजाज आलियांज जैसी अन्य बड़ी बीमा कंपनियों ने भी मैक्स हॉस्पिटल्स में कैशलेस सेवाएं रोक दी हैं। यानी यह कोई isolated case नहीं, बल्कि बीमा और अस्पतालों के बीच चल रही एक बड़ी जंग का हिस्सा है – और इस लड़ाई में पिस रहे हैं आम मरीज।

क्या करें बीमाधारक?
ऐसे में मरीज इलाज करवा पैसे खुद से चुकाए और बाद में बिल, रिपोर्ट्स और ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ बीमा कंपनी से रीइंबर्समेंट क्लेम किया जा सकता है। निवा बूपा का दावा है कि मैक्स में इलाज कराने वाले ग्राहकों के लिए उन्होंने फास्ट-ट्रैक क्लेम प्रोसेसिंग की व्यवस्था की है, ताकि उन्हें जल्दी पैसा लौटाया जा सके।

कंपनी यह भी कहती है कि कैशलेस इलाज की सुविधा अभी भी उनके नेटवर्क में मौजूद 10,400+ अस्पतालों में पहले की तरह मिल रही है। लेकिन मैक्स जैसे टॉप हॉस्पिटल्स में इलाज करवाने वाले बीमाधारकों के लिए ये फैसला एक तगड़ा झटका है। कई मामलों में इलाज का खर्च लाखों में पहुंचता है – खासकर दिल के दौरे, एक्सीडेंट या गंभीर सर्जरी की स्थिति में। ऐसे में जब मरीज पहले से ही शारीरिक और मानसिक तनाव में हो, ऊपर से पैसों का प्रेशर हालात को और बिगाड़ सकता है।
 


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Content Writer

Anu Malhotra

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