निर्भया मामला: उस रात दिल्ली हुई शर्मसार, 24 किलोमीटर दौड़ाई बस और की हैवानियत
punjabkesari.in Wednesday, Jan 08, 2020 - 10:11 AM (IST)
नई दिल्ली: 16 दिसम्बर, 2012 की रात निर्भया से सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत से देश को हिला देने वाले वीभत्स कांड के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए पटियाला हाऊस अदालत ने मंगलवार को डैथ वारंट जारी कर दिया। चारों दोषियों पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने 7 साल पुराने इस मामले में फैसला सुनाते हुए दोषियों को अपनी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए 14 दिन का समय दिया है। फैसला सुनाए जाने के समय अदालत कक्ष में न्यायाधीश अरोड़ा, जेल के अधिकारी और दोनों पक्षों के वकील मौजूद थे। चारों दोषियों को तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी।
डैथ वारंट के बाद फूट-फूटकर रोए हैवान
डैथ वारंट जारी करने से पहले चारों दोषियों की वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए न्यायाधीश अरोड़ा के समक्ष पेशी की गई। जैसे ही कोर्ट ने डैथ वारंट जारी किया, जेल में बंद चारों दोषी फूट-फूट कर रोने लगे। अपराध करते समय इन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि इनकी घिनौनी करतूत इन्हें फांसी के फंदे तक पहुंचा देगी।
कैसा संयोग था जिस दिन निर्भया के साथ वह दर्दनाक वाकया हुआ, उसी दिन वह अपने दोस्त के साथ ‘लाइफ आफ पाई’ फिल्म देखने गई थी। इस मूवी में किस तरह से एक व्यक्ति समुद्र के बीच शेर और खुले पानी में अपनी जिंदगी की जंग जीतता है, लेकिन इस मूवी को देखने के बाद भी वह दंरिदों के बीच ऐसी फंसी कि खुद की जिंदगी की जंग हार गई। 16 दिसंबर 2012 को दिन रविवार था...जब 23 वर्षीय निर्भया दोस्त के साथ साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने गई थी। मूवी खत्म होने के बाद फीजियोथेरेपिस्ट और उसका दोस्त ऑटो से रात 9 बजे मुनिरका बस स्टैंड पर पहुंचे थे। यहां दोनों बस का इंतजार कर रहे थे, तभी करीब 9:17 पर आईआईटी की तरफ से सफेद रंग की बस आकर रुकी। बस के दोनों तरफ ‘यादव’ लिखा था और बस के शीशे काले और उनमें पर्र्दे लगे थे। बस में सवार एक व्यक्ति ने उन्हें बस से छोडऩे के लिए कहा, जिस पर भरोसा कर उसका दोस्त और निर्भया उसमें सवार हो गए।
24 किलोमीटर दौड़ाई बस और की हैवानियत
बदमाश चलती बस में निर्भया के साथ दुष्कर्म करते रहे और इस दौरान उन्होंने करीब 24 किलोमीटर तक बस को दिल्ली की सड़कों पर दौड़ाया। जिसके बाद पुलिस के रिकार्ड के मुताबिक मुकेश बस को लेकर महिपालपुर रोड एनएच-8 से यूटर्न लेकर द्वारका रूट पर गया और फिर बस को लेकर महिपालपुर आ गया। इसके बाद होटल के सामने चलती बस से दोनों को नीचे फेंकने के बाद सभी फरार हो गए।
काली रात के बाद थम गई थी दिल्ली
निर्भया ने 13 दिन अस्तपाल में जिंदगी और मौत के बीच गुजारे, जिसके बाद सिंगापुर पहुंचते ही उसकी मौत हो गई, लेकिन इस दर्दनाक घटना और उस काली रात को जो कुछ भी हुआ, उसने दिल्ली पुलिस ही नहीं बल्कि केन्द्र सरकार की नींद भी हराम कर दी। पहली बार ऐसा देखने को मिला, जब देश की सड़कों, कालेजों, घरों सहित हर जगह महिलाओं की सुरक्षा पर बात की जाने लगी। 29 दिसंबर निर्भया की मौत की खबर पर सभी की आंखें छलक पड़ीं और दिल्ली थम सी गई थी।
बस में हुई सवार तो हुई दरिंदगी की शिकार
दोनों बस में सवार हो गए, उस दौरान चालक समेत बस में 6 लोग सवार थे। निर्भया के दोस्त से 20 रुपए किराया वसूलने के बाद निर्भया के दोस्त और दोषी पवन कुमार में बहस शुरू हो गई। इसका विरोध जब निर्भया ने किया तो युवकों ने लड़के को पकड़ लिया और उससे छेडख़ानी शुरू कर दी। इसी बीच एक नाबालिग लड़का केबिन से रॉड निकाल लाया और उसके दोस्त के सिर पर वार कर घायल कर दिया था। फिर युवती को पीछे की सीट पर ले जाकर दरिंदों ने न सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म किया, बल्कि दरिंदगी की सारी हदें तोड़ दी थीं। पीड़िता ने खुद को छुड़ाने के लिए तमाम कोशिशें की, शरीर को नोचा, दांत काटा और मिन्नतें भी कीं, लेकिन हैवानियत पर उतारू दुष्कर्मियों पर कोई असर नहीं हुआ।
सड़कों पर उतरे लोग, विजय चौक पर लाखों की भीड़
निर्भया की मौत के बाद हर महिला, हर युवा के चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आया। इसी का नतीजा था 30 दिसम्बर को इंडिया गेट से लेकर विजय चौक पर लाखों लोग मौजूद थे और हर किसी की जुबां पर एक ही वाक्य था कि निर्भया को इंसाफ दो और महिलाओं को सुरक्षा। निर्भया की मौत की सूचना मिलने पर लोगों ने पहले इंडिया गेट की ओर रुख किया था। पुलिस पहले ही जान चुकी थी कि हालात बेकाबू हंै और लोगों में गुस्सा है, जिसके चलते पुलिस ने सभी रास्ते बंद कर दिए थे। सड़कों पर उतरे लोगों के चेहरे से दर्द साफ झलक रहा था। उनमें आक्रोश भी था। शाम के समय अनेक स्थानों पर कैंडल मार्च निकालकर पीड़िता को श्रद्धांजलि दी गई थी।
तिहाड़ में नया फांसी घर, मेरठ से आएगा जल्लाद
चारों दोषियों को एक साथ फांसी पर लटकाने के लिए तिहाड़ जेल में करीब 25 लाख रुपए की लागत से एक नया फांसी घर तैयार किया गया है। तिहाड़ जेल अधिकारी ने बताया कि हम मेरठ के पवन जल्लाद की सेवा लेंगे।
दोषियों के पास 14 दिन का वक्त और 4 तरह की मोहलतें
- 1. दोषी डैथ वारंट के खिलाफ 14 दिन में हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं, अन्यथा दोषियों को तय तारीख पर फांसी दे दी जाएगी।
- 2. हाईकोर्ट भी डैथ वारंट बरकरार रखे तो दोषी सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
- 3. दोषी मई, 2017 के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ भी क्यूरेटिव पटीशन लगा सकते हैं जिसमें फांसी की सजा बरकरार रखी गई थी। दोषियों के वकील ए.पी. सिंह ने कहा भी है कि वह क्यूरेटिव पटीशन दाखिल करेंगे। 5 जजों की बैंच इस पर सुनवाई करेगी।
- 4. दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी लगा सकते हैं।
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