अरुणाचल में बनाया गया नया पुल, सेना तक रसद पहुंचाने में होगा मददगार, चीन को लग सकती है मिर्ची

punjabkesari.in Friday, Apr 24, 2020 - 05:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने अरुणाचल प्रदेश की सुबनसिरी नदी पर महज 27 दिन में डेपोरिजो पुल बनाकर तैयार किया है। यह पुल भारत-चीन सीमा पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) तक 40 टन वजनी वाहनों को पहुंचाने में खासा मददगार होगा। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस पुल का उद्घाटन किया। यह क्षेत्र चीन सीमा से लगा हुआ है। दोनों देशों बीच पुराना सीमा विवाद है। लिहाजा, भारत का यह कदम चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को नाराज कर सकता है।

रणनीतिक मामलों के जानकार नितिन गोखले कहते हैं, “सीमा के इस हिस्से में भारत और चीन के बीच तनाव रहा है। लेकिन, यहां कनेक्टिविटी की बहुत जरूरत थी। नई सड़कें और यह ब्रिज सेना को रसद पहुंचाने में भी बहुत मददगार साबित होंगे।” हाल के दिनों में भारत का यह दूसरा कदम है जो चीन को नाराज कर सकता है। कुछ दिन पहले केंद्र ने भारतीय कंपनियों के टेकओवर में सरकार की मंजूरी जरूरी कर दी थी। इसका चीन ने विरोध किया था।
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इसी क्षेत्र में हुआ था डोकलाम विवाद
1962 में भारत और चीन जंग के बाद 2017 में डोकलाम विवाद हुआ। एक महीने से ज्यादा वक्त तक दोनों देशों की आर्मी यूनिट आमने-सामने रही थीं। डोकलाम पर चीन और भूटान दोनों दावा करते हैं। भारतीय सेना भूटान की मदद के लिए पहुंची थी।

फिलहाल चीन चुप
चीन के विदेश मंत्रालय ने फिलहाल इस ब्रिज के खोले जाने पर प्रतिक्रिया नहीं दी है। दोनों देशों के बीच तीन हजार 488 किलोमीटर लंबी सीमा है। चूंकि, सीमा निर्धारित नहीं है। इसलिए कई बार विवाद की स्थिति बन जाती है। भारतीय सेना के प्रवक्ता अमन आनंद के मुताबिक, दोनों देशों के अलग दावे हैं। लिहाजा, कई बार विवाद भी होते हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने सीमा से लगे क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम किया है। सरकार का कहना है कि बुनियादी सेवाओं में विस्तार की वजह कोई देश नहीं बल्कि यहां के लोगों का जीवन आसान बनाना है।

74 सड़कें तैयार
पूर्वी सीमा पर भारत ने 74 सड़कें तैयार कर ली हैं। 20 पर काम चल रहा है जो अगले साल तक पूरा हो जाएगा। सड़कों का यह जाल तैयार होने से इस क्षेत्र के 431 गांवों को कोरोना के इस दौर में मदद भी आसानी से पहुंचाई जा सकेगी।   इस पुल की लंबाई 430 फीट है और इसकी क्षमता को देखते हुए सैन्य सामग्री तो एलएसी पर भेजी जा सकती है। साथ ही, नदी के दूसरी ओर राशन, निर्माण सामग्री और दवाइयां आसानी से पहुंच सकेंगी।

ज्यादातर काम लॉकडाउन के दौरान हुआ
इस पुल का अधिकतर निर्माण देश में कोरोनावायरस के चलते लगाए गए लॉकडाउन के समय में हुआ। जब पूरा देश बंद था, तब बीआरओ के जवान दिन-रात अपने काम में जुटे रहे। इस दौरान संक्रमण से बचने के लिए बीआरओ के जवानों ने जरूरी नियमों का भी पालन किया। रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को पुल के जनता के लिए खोले जाने की जानकारी दी।
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पुराने पुल में दरारें आने के बाद नया पुल बना
पुराने पुल में दरारें आने के बाद, बीआरओ ने राज्य सरकार के साथ मिलकर नए पुल को तैयार किया। बीआरओ के जवानों से 17 मार्च से पुल बनाने का काम शुरू किया था और 14 अप्रैल को काम पूरा कर लिया था। हालांकि कोरोना के कारण इसके समय रहते पूरा होने में संदेह था, लेकिन जवानों की मेहनत ने हर चुनौती को पार किया। 

पुराने पुल से बस गिरी थी, कोई नहीं बचा था
नया पुल बनने के बाद लगातार इसका परीक्षण किया जा रहा था। पुराने पुल पर कई साल पहले एक दुर्घटना भी हो चुकी है। 26 जुलाई 1992 को इससे एक बस नदी में गिर गई थी। उस दुर्घटना में कोई यात्री जीवित नहीं बचा था।

 


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Yaspal

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