करीब 13.8 करोड़ भारतीय किडनी की इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे, दिल दहला देगी ये रिपोर्ट; नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
punjabkesari.in Wednesday, Nov 19, 2025 - 06:16 PM (IST)
नेशनल डेस्क : किडनी हमारे शरीर का एक अहम अंग है, जो खून को साफ रखने, शरीर से टॉक्सिन और अतिरिक्त पानी निकालने, ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने और रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करती है। जब किडनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं और अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं, तो शरीर में हानिकारक तत्व जमा होने लगते हैं। इस स्थिति को Chronic Kidney Disease (CKD) कहा जाता है, जिसे अक्सर 'Silent killer' भी कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण देर से दिखाई देते हैं।
भारत में CKD तेजी से बढ़ रहा है
द लैंसेट में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीजों की संख्या में तेज बढ़ोतरी हो रही है। भारत में करीब 13.8 करोड़ लोग CKD से प्रभावित हैं, जो संख्या के हिसाब से दुनिया में दूसरे स्थान पर है। पहले नंबर पर चीन है, जहां 15.2 करोड़ लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। IHME (वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी) की रिपोर्ट में 1990 से 2023 तक के 204 देशों के आंकड़े शामिल हैं। इसमें सामने आया है कि CKD अब दुनिया में मौत का 9वां सबसे बड़ा कारण बन चुका है। सिर्फ 2023 में इस बीमारी से 15 लाख मौतें हुईं, जिनमें से 1.2 लाख मौतें भारत में दर्ज की गईं।
क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है?
धीरे-धीरे किडनी की क्षमता कम होने लगती है और खून को पहले की तरह साफ नहीं कर पाती। शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, शरीर में कई तरह की समस्याएं दिखाई देने लगती हैं।
इसके आम लक्षण
- लगातार थकान
- मतली और उल्टी
- पैरों में सूजन
- भूख कम लगना
- पेशाब की मात्रा में बदलाव
- हाई ब्लड प्रेशर
- मांसपेशियों में ऐंठन
- सांस फूलना (फेफड़ों में पानी जमने पर)
CKD होने की मुख्य वजहें
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- किडनी में सूजन
- पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज
- बार-बार किडनी संक्रमण
- पेशाब का रुकना
- जेनेटिक कारण
किससे बढ़ता है CKD का खतरा?
- धूम्रपान
- मोटापा
- बढ़ती उम्र
- पैक्ड/प्रोसेस्ड फूड का ज्यादा सेवन
- दिल की बीमारी
- परिवार में किडनी समस्या का इतिहास
- सालों तक ऐसी दवाओं का सेवन जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं
समय पर इलाज न मिला तो क्या हो सकता है?
दिल की गंभीर बीमारी
एनीमिया
हड्डियां कमजोर होना
इम्यून सिस्टम खराब होना
प्रेग्नेंसी की जटिलताएं
आखिर में किडनी फेल होना, जिसके बाद डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है
लैंसेट स्टडी में क्या पाया गया?
रिपोर्ट बताती है कि:
- भारत में CKD का रेट 16% है, जो दुनिया के औसत 14.2% से अधिक है।
- मध्य पूर्व, नॉर्थ अफ्रीका और दक्षिण एशिया में CKD की दर तेजी से बढ़ रही है।
- स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और देर से पहचान बीमारी को और खतरनाक बना रही है।
दिल की बीमारी से गहरा कनेक्शन
स्टडी में यह भी सामने आया कि:
- दुनिया में होने वाली हर 100 में से 12 दिल संबंधी मौतें CKD की वजह से होती हैं।
- CKD अब कार्डियोवैस्कुलर मौतों का 7वां सबसे बड़ा कारण है।
किडनी खराब होने पर शरीर में टॉक्सिन बढ़ते हैं, जिससे दिल पर सीधा दबाव पड़ता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
एक्सपर्ट्स की चेतावनी
ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल मुंबई के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. भरत शाह बताते हैं कि भारत में CKD का मुख्य कारण
- डायबिटीज
- हाई BP
- जंक-फूड और प्रोसेस्ड फूड
- नमक की अधिक मात्रा हैं।
उनका कहना है कि भारत में लोग हेल्दी खाने के प्रति जागरूक नहीं हैं।
उनका स्पष्ट संदेश है— 'इलाज से ज्यादा जरूरी रोकथाम है। किडनी की बीमारी को जल्दी पहचानने की जरूरत है।' उनका कहना हैं कि सरकार, फूड इंडस्ट्री और आम जनता को मिलकर कदम उठाने होंगे ताकि CKD की बढ़ती दर को रोका जा सके।
