भारत के इस राज्य में सरोगेसी को मिली कानूनी मंजूरी, सरकार ने बनाया 24 सदस्यीय मॉनिटरिंग बोर्ड

punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 07:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में सरोगेसी (किराए की कोख) को लेकर सख्त कानून लागू हैं, जो परोपकारी सरोगेसी को ही मान्यता देते हैं। हाल ही में  बिहार सरकार ने लंबे इंतजार के बाद सरोगेसी प्रक्रिया को कानूनी मान्यता दे दी है। राज्य में इस प्रक्रिया की निगरानी और संचालन के लिए 24 सदस्यों वाला सरोगेसी मॉनिटरिंग बोर्ड भी गठित किया गया है, जिसमें डॉक्टर, विधायक और महिला समाजसेविकाएं शामिल हैं। इस कदम से बिहार उन राज्यों की कतार में शामिल हो गया है जहां सरोगेसी को वैध माना जाता है।

भारत में सरोगेसी का क्या है कानून?
सरोगेसी की प्रक्रिया में गर्भधारण करने वाली महिला (सरोगेट मदर) बच्चे की जैविक मां नहीं होती, वह केवल बच्चे को जन्म देती है। बच्चे के माता-पिता के शुक्राणु और अंडाणु को आईवीएफ तकनीक से निषेचित कर भ्रूण को सरोगेट मदर के गर्भ में ट्रांसप्लांट किया जाता है।

भारत सरकार ने 2021 में सरोगेसी पर सख्त कानून लागू किया, जिसमें केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति है। इसका मतलब है कि महिला अपनी मर्जी से बिना किसी आर्थिक प्रलोभन के यह प्रक्रिया कर सकती है।

कानून के अनुसार:

- कमर्शियल सरोगेसी पूरी तरह प्रतिबंधित है, इसका उल्लंघन करने पर 10 साल तक की सजा और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

- केवल विवाहित जोड़े ही सरोगेसी के लिए पात्र हैं, जहां पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष और महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच हो।

- अविवाहित महिलाएं सरोगेसी के जरिए मां नहीं बन सकतीं।

भारत के कौन-कौन से राज्य सरोगेसी को मान्यता देते हैं?
सरकार के इस कानून के तहत देश के कई राज्यों में सरोगेसी की वैधता सुनिश्चित की गई है, जिनमें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं। अब बिहार भी इस सूची में शामिल हो गया है।

सरोगेसी मॉनिटरिंग बोर्ड का गठन इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और कड़ाई से निगरानी के लिए किया गया है, ताकि इस क्षेत्र में गलत प्रथाओं को रोका जा सके और संबंधित परिवारों को कानूनी सुरक्षा मिले। सरकार ने बार-बार कहा है कि सरोगेसी केवल तब ही वैध होगी जब यह पूरी तरह से महिला की सहमति से और बिना किसी दबाव या आर्थिक लालच के की जाए।


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Content Editor

Harman Kaur

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