Birthday spl: PM मोदी के वो 10 बड़े फैसले जिससे बदल गया देश का इतिहास

punjabkesari.in Saturday, Sep 17, 2022 - 10:31 AM (IST)

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 72वां जन्मदिन मना रहे हैं।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नाम न सिर्फ  देश के लोगों की जुबान पर है, बल्कि दुनियाभर में लोग उनका नाम लेते नहीं थकते। इससे पहले हमारे देश के किसी भी प्रधानमन्त्री की लोकप्रियता इतनी नहीं बढ़ी, जितनी नरेन्द्र मोदी की बढ़ी है। वहीं मोदी सरकार का एक नारा जो आज पूरी तरह सच है वह है 'मेरा देश बदल रहा है'। देश नहीं लोगों की सोच भी बदल रही है ये सब मुमकिन हो पाया है मोदी सरकार के कुछ साहसिक कदम से। दरअसल 2019 में दूसरी बार सत्ता में आते ही नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए ​जिससे देश का इतिहास, भूगोल और यूं कहें कि भारत को लेकर दुनिया की सोच भी बदल दी। हालांकि अयोध्या विवाद, तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को लेकर लिए गए निर्णय काफी चुनौतीपूर्ण भी रहे। जानिए मोदी सरकार के वो 10 बड़े फैसले जिसने बदल दिया ऐतिहसिक उलटफेर:-

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नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2019 में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने का कदम उठाया। सरकार ने तीन तलाक पर प्रतिबंध के लिए ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ को लोकसभा एवं राज्यसभा से पारित कराया। अगस्त महीने में कानून बनने के बाद भारत में तीन तलाक कानूनी तौर पर अपराध बन गया। इस कानून के तहत अगर पुरुष तीन बार ‘तलाक’ बोलकर, लिखकर या एसएमएम-ईमेल भेजकर शादी तोड़ता है तो उसकी गिरफ्तारी का प्रावधान है। हालांकि इस विधेयक को लेकर काफी हो हल्ला भी हुआ लेकिन इसके बावजूद सरकार इसे पारित कराने में कामयाब रही।

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इस साल जम्मू-कश्मीर का मुद्दा देश में सबसे ऊपर रहा। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला धारा 370 हटा दिया गया। यह बिल गृहमंत्री अमित शाह सबसे पहले राज्यसभा में लेकर आए, जिसमें जम्मू-कश्मीर से 370 का हटना, राज्यों का बंटवारा और केंद्रशासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव था। जब यह बिल लाया गया तो इसे मुस्लिम विरोधी बताया गया। कहा गया कि धारा 370 हटा कर कश्मीर के मुस्लिमों को सरकार दबाना चाहती है। लोकसभा में सरकार के पास बहुमत था लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं था, इसके बावजूद भाजपा ने इस बिल को दोनों सदनों में आसानी से पास करवाया औश्र आखिरकार 31 अक्टूबर, 2019 से जम्मू-कश्मीर, लद्दाख अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बन गए।

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भगवान राम की जन्मभूमि में उनके जन्म को साबित करने के लिए देश की आजादी के पहले से चल रहा विवाद आखिरकार मोदी राज मे सुलझ ही गया। 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण होगा। मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही अलग से 5 एकड़ जमीन दी जाएगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए, ताकि आगे की प्रक्रिया तय हो। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का पूरे देश में स्वागत हुआ। 

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में ही असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के दूसरे और अंतिम मसौदे को जारी कर अपना दांव लगाया। एनआरसी में शामिल होने के लिए आवेदन किए 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए, बाकि 40-41 लाख लोगों के नाम इसमें नहीं थे। इस ड्राफ्ट के सामने आने के बाद से असम और पूरे देश में राजनीतिक भूचाल सा आ गया, जिसका जगह जगह विाध भी हुआ। इतना ही नहीं अब सरकार सरकार पूरे देश में एनआरसी लाने की तैयारी कर रही है। गृहमंत्री अमित शाह खुद संसद में इस बात का ऐलान कर चुके हैं। 

नरेंद्र मोदी सरकार के UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक-2019 को लेकर भी विपक्ष के साथ काफी विवाद रहा। हालांकि, इसे भी पारित कराने में सरकार कामयाब रही। इसके कानून के बाद अब सरकार किसी भी व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित कर सकती है और उसकी संपत्ति भी जब्त कर सकती है। जबकि, इससे पहले तक आतंकवाद विरोधी कानून में सिर्फ यह प्रावधान था कि वह किसी समूह को प्रतिबंधित कर सकता था, लेकिन किसी को व्यक्तिगत तौर पर नहीं। अभी हाल ही में मोदी सरकार ने इसी कानून के तहत हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम, जकीउर रहमान लखवी और मसूद अजहर को आतंकी घोषित किया है। 

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14 फ़रवरी को भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा ज़िले में सीआरपीएफ़ के एक काफ़िले पर जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारत ने 26 फ़रवरी को पाकिस्तान में चरमपंथी संगठनों के ठिकानों को निशाने पर लिया था। भारत ने यह कार्रवाई पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तुनख़्वा प्रांत के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर की थी। भारत ने यह हमला मिराज 2000 लड़ाकू विमान से किया था और ये 12 की संख्या में गए थे। एयरस्ट्राइक के बाद एक बार फिर से 'मोदी-मोदी' के नारे गूंजने लगे हैं और इसके बाद सरकार ने 2019 की जंग में भी जीत हासिल कर ली।

मोदी सरकार ने ट्रैफिक व्यवस्था को दुरूस्त रखने और नागरिकों को इसके प्रति गंभीर बनाने के मकसद से मोटर व्हीकल एक्ट-2019 को लागू किया। इस कानून में जुर्माने की राशि इतनी तय की गई, जिसे लेकर देश भर में हड़कंप जैसी स्थिति है। चालान की राशि के चलते कई जगहों पर लोगों ने अपना वाहन ही पुलिस के पास छोड़ना मुनासिब समझा। इस कानून के चलते यातयात नियमों का उल्लंघन करने वालों बिल्कुल भी नहीं बख्शा जाएगा। वैसे जहां एक तरफ इस बढ़े हुए जुर्माने को लेकर विवाद देखा गया तो वहीं सड़कों पर नियम का असर भी देखने को मिला। लोगों ने ट्रैफिक व्यवस्था का पालन करना शुरू कर दिया। 

मोदी सरकार स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) संशोधन बिल 2019 को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराने में कामयाब रही। इस बिल में सिर्फ प्रधानमंत्री को SPG सुरक्षा देने का प्रावधान है और उनके अलावा कोई भी विशिष्ट व्यक्ति इस सुरक्षा कवच का हकदार नहीं होगा। इस बिल में संशोधन के बाद गांधी परिवार के सदस्यों और पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार वालों को मिलने वाली एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई है।अब ये सिर्फ प्रधानमंत्री रहते हुए और पद से हटने के 5 साल बाद विशिष्ट व्यक्ति से भी यह सुरक्षा वापस लेने का प्रावधान है। हालांकि इसे लेकर खूब विवाद भी देखने को मिला। 

नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने आर्थिक सुधार की दिशा में बैंकों का विलय करके चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की। ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया गया। वहीं, सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया। आंध्र बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में मिलाया गया। सरकार का दावा है कि इस कदम से बढ़ते हुए NPA से राहत मिलेगी। जबकि, सरकार के इस कदम की आलोचना करने वालों का कहना है कि इससे स्थिति में सुधार नहीं होने वाला है। 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद मोदी सरकार को तब बड़ी कामयाबी मिली जब उसने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को दोनों सदनों से पारित करा लिया गया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये क़ानून बन चुका है। लेकिन संसद से पारित होने के बाद भी इस कानून को लेकर जारी चर्चा थमी नहीं है। इस क़ानून के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ है। इसके कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता देना है। इनमें वह सभी शामिल होंगे जो वैध दस्तावेज के बिना भारत आए हैं या जिनके दस्तावेज की समय सीमा समाप्त हो गई है। अगर कोई व्यक्ति इन तीन देशों में से आया है और उसके पास अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र नहीं है तब भी छह साल के निवास के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी। 


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Content Writer

Anil dev

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