कश्मीर के युवाओं को भड़काने के लिए ‘गंदा खेल दोहरा रहा है पाकिस्तान, खत्म हो जाएगी एक पीढ़ी!

punjabkesari.in Wednesday, Mar 23, 2022 - 12:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कश्मीर की वादियों में आतंकवाद के साथ-साथ ड्रग्स का जहर भी तेजी घुल रहा है। एक तरफ जहां शासन और प्रशासन को कश्मीर में ड्रग्स पर नकेल कसने में भारी मशक्कत करनी पड़ी रही है वहीं दूसरी और हैरोइन जैसे खतरनाक नशे को इंजैक्शन के से लेने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नशामुक्ति केंद्रों में इलाज के लिए आए एडिक्ट्स में हैरोइन को इंजेक्शन से लेने वालों की संख्या में 340 फीसदी इजाफा हुआ है। यह कश्मीरी समाज के साथ-साथ प्रशासन के लिए भी यह गहरी चिंता का विषय है। युवाओं को नशे की लत से छुड़ाने के उद्देश्य से पुलिस ने 'मिशन वापसी' कार्यक्रम शुरू किया है। कार्यक्रम के तहत नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। हालांकि जमीनी स्तर पर अब तक प्रयास बहुत कम हुए हैं। 

सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) श्रीनगर के नशा मुक्ति केंद्र के रिकॉर्ड से पता चलता है कि 2019 में 3850 से अधिक लोग इंजेक्शन के जरिए हेरोइन का इस्तेमाल कर रहे थे। जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 13200 हो गई। तीन सालो में ही ज्यादातर 15 से 30 साल के लोग इसके शिकार दिख रहे हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक नशा मुक्ति केंद्रों में ज्यादातर मरीज यही कहते हैं कि उनको सिर्फ एक फोन कॉल पर ड्रग्स मिल जाते हैं।  रिपोर्ट  में पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, ‘वे वही गंदा खेल दोहरा रहे हैं, जो उन्होंने पंजाब में खेला था’ – पहले हथियारों का प्रशिक्षण देना और बाद में युवाओं को मादक पदार्थों से बर्बाद करना। 

कश्मीर में ओपिओइड की खपत सर्वाधिक
इस साल फरवरी में इंजेक्शन से हेरोइन की नशा मुक्ति के लिए 1400 से अधिक रोगियों का पंजीकरण किया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार अधिक से अधिक लोग मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार हो रहे हैं। 2019 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया जिसमें पता चला कि छह लाख लोग नशाखोरी का शिकार हैं। यह आंकड़ा केंद्र शासित प्रदेश की कुल आबादी का 4.5 प्रतिशत है। चिंताजनक बात यह है कि इन नशेड़ियों में से 90 प्रतिशत 17-33 आयु वर्ग के पाए गए हैं। जम्मू-कश्मीर में ओपिओइड की खपत देश में सबसे ज्यादा होने का अनुमान है।

इंजेक्शन से ली गई हैरोइन से मौत का खतरा
श्रीनगर नशा मुक्ति केंद्र के प्रभारी यासिर राथर का कहना है कि इंजेक्शन से हैरोइन का नशा करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हैरोइन का इस तरह से इस्तेमाल बहुत खतरनाक है क्योंकि रोगियों को हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस बी और एचआईवी जैसे संक्रमण रोग होते हैं। डॉ राथर ने कहा कि कि हेरोइन की लत जीवन के लिए खतरा साबित हो सकती है, खासकर अगर इसे इंजेक्शन से लिया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि कश्मीर के युवा और स्वस्थ लोगों में ओवरडोज से होने वाली मौतों में वृद्धि के लिए इंजेक्शन से ली गई हैरोइन जिम्मेदार है। कई डॉक्टरों ने अस्पताल में होने वाली सभी मौतों का कारण बताने का आह्वान किया है, खासकर अगर मृतक की उम्र 40 साल से कम है।

ड्रग्स का पैसा आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल
सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी यह आंकड़े चिंता का कारण है, क्योंकि नशे के इस काले खेल में आतंकी फंडिंग के तार भी जुड़े हुए हैं। घाटी के दस में से दो जिलों में अगर प्रतिदिन 3.5 करोड़ रुपये ड्रग्स पर खर्च होते हैं, तो पूरी घाटी के लिए यह आंकड़ा करीब 400-500 करोड़ प्रतिदिन है। खुफिया एजेंसियों की मानें तो सरहद पार से आने वाले ड्रग्स के प्रति किलो पर हुई कमाई का 20 फीसदी आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल होता है, जबकि बाकी पैसे कारोबार से जुड़े नेटवर्क के लोग आपस में बांट लेते हैं। हालांकि इस खेल में नशा करने वाले लोग और उनके परिवार कैसे शिकार बनते हैं। इसका सबूत नशा मुक्ति केंद्र में मिलता है, जहां हर साल सेकेंडों की संख्या में नशा करने वालों का उपचार होता है।

ज्यादातर खेप सीमा पार पाकिस्तान से आती हैं
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से करोड़ों रुपये की अवैध ड्रग्स बरामद की है। पुलिस का कहना है कि ड्रग्स की अधिकांश खेप सीमा पार पाकिस्तान से आती हैं। ऐसी कई खेप ज्यादातर कुपवाड़ा और उरी जैसे नियंत्रण रेखा के करीब के इलाकों से बरामद की गई हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबकि, जहां साल 2015 में जम्मू-कश्मीर में 72.07 किलोग्राम हैरोइन पकड़ी गई थी, वहीं 2019 में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रदेश में 200 किलोग्राम से ज्यादा हैरोइन बरामद की थी। साल 2020 में पकड़े गए ड्रग्स में 152 किलोग्राम हेरोइन और 49 किलोग्राम ब्राउन शुगर शामिल थी । 2021 में पुलिस और सुरक्षाबलों  ने 100 किलोग्राम से ज्यादा हेरोइन और ब्राउन शुगर बरामद की थी।


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Content Writer

Anil dev

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