कोवैक्सीन को 'पानी' बताने पर छलका भारत बायोटेक के चीफ का दर्द

punjabkesari.in Tuesday, Jan 05, 2021 - 12:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ दो वैक्सीन को इमरजेंसी में इस्तेमाल करने की मंजूरी मिलने के बाद सियासत जोरों पर है। कोई इसके प्रभाव पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है तो कोई इसे बैकअप वैक्सीन बता रहा है। इसी बीच सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला की ओर से अप्रत्यक्ष तौर पर कोवैक्सीन को पानी बताए जाने पर भारत बायोटेक के चीफ कृष्णा इल्ला का दर्द छलका है। पूनावाला का नाम लिए बिना कृष्णा इल्ला ने कहा,  कुछ कंपनियों ने हमारे टीके को पानी की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। हमारे ट्रायल पर कोई सवाल न उठाए।

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200 प्रतिशत किए गए ईमानदारी के साथ क्लीनिकल ट्रायल 
अध्यक्ष कृष्णा इल्ला ने कहा 200 प्रतिशत ईमानदारी के साथ क्लीनिकल ट्रायल किए गए फिर भी आलोचना की जा रही है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त डाटा का पहले ही खुलासा कर दिया गया है और लोगों के लिए यह ऑनलाइन मौजूद है। उन्होंने सुझाव दिए कि टीके को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है कि यह एक भारतीय कंपनी का उत्पाद है। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन मेडिकल जरूरतों को पूरा करता है और इसने शानदार सुरक्षा डाटा सृजित किया है और इसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता ठोस है। इल्ला ने कहा कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण की प्रभाविता संबंधी डाटा मार्च तक उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा, हम 200 फीसदी ईमानदारी से क्लीनिकल परीक्षण करते हैं और फिर भी हमारी आलोचना हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक का टीका फाइजर के टीके से कमतर नहीं है। इल्ला ने कहा कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण तक की प्रभावकारिता के आंकड़ें मार्च के अंत तक उपलब्ध हो जाएंगे। अभी तीसरे चरण की प्रभावकारिता के बारे में कोई विश्लेषण नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया जा रहा है उन्हें घटिया बताया जा रहा है। 

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भारतीय कंपनियों पर निशाना साधना सही नहीं है
उन्होंने कहा, सुरक्षा और प्रभाव के संदर्भ में किसी भी क्लीनिकल परीक्षण को फास्ट ट्रैक नहीं किया गया। नियामक की मंजूरी लेने में फास्ट ट्रैक किया गया है जिसमें एक चरण से दूसरे चरण तक जाने में सामान्य तौर पर ज्यादा समय लगता है। भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा इल्ला ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उनकी कंपनी का सुरक्षित और प्रभावी टीके के उत्पादन करने का एक रिकार्ड है और वह सभी आंकड़ों को लेकर पारदर्शी है। उन्होंने कहा, हम न केवल भारत में क्लीनिकल परीक्षण कर रहे हैं। हमने ब्रिटेन सहित 12 से अधिक देशों में क्लीनिकल परीक्षण किये हैं। उन्होंने कहा कई लोग सिर्फ भारतीय कंपनियों पर निशाना साधने के लिए अलग तरह से बातें कर रहे हैं। यह हमारे लिए सही नहीं है।

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यह कहना गलत है कि भारत बायोटेक का डाटा पारदर्शी
उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि भारत बायोटेक का डाटा पारदर्शी नहीं है और उन्होंने कंपनी के प्रकाशनों की संख्या गिनाई। उन्होंने कहा कि आपातकालीन उपयोग की मंजूरी भारत सरकार के 2019 के नियमों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक ने सबसे पहले जीका वायरस का पता लगाया और जीका तथा चिकनगुनिया के टीकों के लिए वैश्विक पेटेंट दायर करने वाली यह पहली कंपनी है। भारत बायोटेक के टीके को मंजूरी बैकअप के तौर पर केवल आपातकालीन स्थिति के लिए दी गई है और इन दावों को खारिज कर दिया कि टीका की पूरी प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक किया गया। उन्होंने कहा, अगर मामलों में बढ़ोतरी हो रही है तो हमें टीके के बड़े डोज की जरूरत होगी और तब हम भारत बायोटेक के टीके का इस्तेमाल कर सकते हैं। भारत बायोटेक का टीका बैक-अप के लिए है। 
 


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Anil dev

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