छत्तीसगढ़: कोरोना महामारी, नक्सली हमला, CM पद के लिए मनमुटाव का गवाह रहा साल 2021

punjabkesari.in Friday, Dec 24, 2021 - 02:12 PM (IST)

नेशनल डेस्क: छत्तीसगढ़ में वर्ष 2021 कोरोना वायरस संक्रमण से सैकड़ों लोगों की मौत, बड़ी नक्सली घटनाओं और मुख्यमंत्री पद के लिए नेताओं की आपसी अनबन का गवाह रहा है। राज्य में दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से मुख्यमंत्री पद के ढाई-ढाई वर्ष के फार्मूले की चर्चा रही। सरकार के ढाई वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के बीच इसे लेकर कथित तौर पर मनमुटाव भी हुआ और दोनों के समर्थक आमने-सामने आ गए। बहरहाल, 18 दिसंबर को सरकार के तीन वर्ष पूरे हो गए और मुख्यमंत्री पद के फार्मूले की चर्चा फिलहाल ठंडी है। राज्य में वर्ष 2020 की तरह ही इस वर्ष भी कोविड-19 ने अपना कहर जारी रखा। 

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इस वर्ष के शुरुआती महीने में कोविड-19 के मामले कुछ कम रहे लेकिन मार्च के मध्य तक मामलों में अचानक उछाल आया। महामारी की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं। मार्च से मई माह तक पांच लाख 89 हजार से अधिक लोग वायरस से संक्रमित हुए और इनमें से 7,693 लोगों की जान गई। अभी तक राज्य में कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन का एक भी मामला सामने नहीं आया है। राज्य में माओवादी हिंसा भी जारी रही। इस वर्ष तीन अप्रैल को राज्य के नक्सल प्रभावित सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया जिससे सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हो गए तथा 31 अन्य घायल हो गए। बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान और धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नए शिविर की स्थापना ने पुलिस बल का मनोबल बनाया लेकिन मई में ग्रामीणों ने सिलगेर गांव में शिविर का विरोध कर दिया। विरोध के दौरान कथित रूप से सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई। 

ग्रामीणों की मौत ने क्षेत्र में आदिवासियों को नाराज कर दिया। वहीं राज्य में मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों ने घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। क्षेत्र के ग्रामीणों ने दावा किया था कि सुरक्षा बलों ने एकतरफा गोलियां चलाईं थीं। वहीं पुलिस ने कहा था कि नक्सली उस भीड़ का हिस्सा थे जो सिलगेर में शिविर का विरोध कर रही थी। राज्य में वर्ष 2021 में कोयला खनन को लेकर तीन सौ किलोमीटर लंबी पदयात्रा ने भी सुर्खियां बटोरीं। राज्य के उत्तरी क्षेत्र में जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य क्षेत्र के निवासियों ने कोयला खनन के खिलाफ अक्टूबर में मोर्चा खोल दिया था। दो सौ से अधिक ग्रामीणों ने क्षेत्र में सभी कोयला खनन परियोजनाओं को रद्द करने की मांग करते हुए हसदेव से रायपुर तक तीन सौ किलोमीटर लंबी पदयात्रा की थी। ग्रामीणों ने राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की जिन्होंने उन्हें उनके अधिकारों की रक्षा करने का आश्वासन दिया था। कबीरधाम जिले के मुख्यालय कवर्धा शहर में तीन अक्टूबर को धार्मिक झंडे को हटाने को लेकर दो समुदायों के लोगों के बीच मारपीट हो गई। इसके दो दिन बाद हिंदू संगठनों ने एक रैली निकाली जो हिंसक हो गई, जिसके बाद जिला प्रशासन ने वहां कर्फ्यू लगा दिया। 

राज्य में इस वर्ष सितंबर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल पर एक समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा। ब्राह्मण समाज ने जब मुख्यमंत्री के पिता के खिलाफ मामला दर्ज कराया तब 86 वर्षीय बघेल को गिरफ्तार कर लिया गया। मुख्यमंत्री बघेल ने इस दौरान कहा था कि उनकीच सरकार में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है फिर चाहे वो मुख्यमंत्री के पिता ही क्यों न हों। इस वर्ष अप्रैल माह में कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस की ​वरिष्ठ नेता करुणा शुक्ला (70 वर्ष) का निधन हो गया। पूर्व लोकसभा सांसद और विधायक शुक्ला भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रहीं। शुक्ला वर्ष 2014 में भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गईं थी। खैरागढ़ विधानसभा सीट से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक 52 वर्षीय देवव्रत सिंह का चार नवंबर को निधन हो गया। खैरागढ़ राजपरिवार के सदस्य सिंह इस सीट से चार बार विधायक और एक बार राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। 


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Content Writer

Anil dev

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