जानिए क्यों इस शख्स ने की सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजने पर खड़े होने की याचिका दर्ज

punjabkesari.in Thursday, Dec 01, 2016 - 02:52 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्देश दिया कि अब सभी सिनेमा हॉल में फिल्म के प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान चलाना अनिवार्य होगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय गान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना भी अनिवार्य होगा और सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रीय गान के सम्मान में खड़ा होना होगा।

करण जौहर आए विवादों में
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक जनहित याचिका पर आया है जिसे मध्यप्रदेश निवासी श्याम नारायण चौकसे ने दायर की थी। चौकसे ने सबसे पहले राष्ट्रगान से जुड़े इस मुद्दे पर करीब 13 साल पहले जबलपुर हाइकोर्ट में एक याचिका दायर की थी और उस वक्त 2003 में इस याचिका की सुनवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने की थी जिन्होंने बुधवार को चौकसे की याचिका के समर्थन में फैसला सुनाया है। एक अंग्रेजी अखबार छपी रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस मिश्रा उस वक्त जबलपुर हाइकोर्ट में उस डिविज़न बेंच का हिस्सा थे जिन्होंने मिश्रा की याचिका पर आदेश दिया था कि जब तक करण जौहर अपनी फिल्म 'कभी खुशी कभी ग़म' से राष्ट्रीय गान को हटा नहीं देते, उस फिल्म को सभी थिएटरों से हटा दिया जाए।

लोगों ने उड़ाया मजाक
चौकसे ने एक हिंदी अखबार से हुई बातचीत में बताया कि जब वे जौहर की फिल्म 'कभी खुशी कभी ग़म' देखने सिनेमा हाल गए तो फिल्म में एक दृश्य के दौरान बजने वाले राष्ट्रीय गान के लिए खड़े हो गए, ये देख थिएटर में बैठे लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया। मैनेजर से शिकायत करने के बाद भी चौकसे की नहीं सुनी गई। इसके बाद राष्ट्रीय गान के प्रति सम्मान जगाने की उनकी मुहिम की शुरुआत हुई। उन्होंने जबलपुर हाइकोर्ट में याचिका लगाई जिसमें कहा गया कि करण जौहर ने अपनी फिल्म में राष्ट्रीय गान का गलत इस्तेमाल किया है। साथ ही जब हॉल में यह धुन बजी तब कोई भी इसके सम्मान में खड़ा नहीं हुआ। हाइकोर्ट की बेंच ने चौकसे के पक्ष में आदेश देते हुए कहा कि जौहर को अपनी फिल्म से यह सीन हटाना होगा लेकिन निर्माता-निर्देशक ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले पर स्टे ले लिया। इसके बाद भी चौकसे ने हार नहीं मानी और इस मुद्दे पर अपनी जानकारी जुटाते रहे।

जयललिता के शपथ ग्रहण समारोह में 20 सेंकड तक बजा राष्ट्रगान
चौकसे ने 2014 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के शपथ ग्रहण समारोह में 52 सेकंड की जगह सिर्फ 20 सेंकड तक ही राष्ट्रगान बजने के मामले में भोपाल में याचिका लगाई थी। सितंबर 2016 में उन्होंने फिर इस मामले में याचिका लगाई जिसमें कहा गया कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्रीय गान के चलन पर रोक लगाई जानी चाहिए और एंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रीय गान को इस्तेमाल न किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रीय गान को अंत तक गाया जाना चाहिए, और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए।

रंग लाई भागदौड़
चौकसे की सालों की उठा-पटक काम आ गई और सुप्रीम कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में अपना आदेश सुना दिया जिसमें राष्ट्रीय गान को फिल्म शुरू होने से पहले बजाए जाने को अनिवार्य कर दिया गया। साथ ही कहा गया कि राष्ट्रीय गान राष्ट्रीय पहचान, राष्ट्रीय एकता और संवैधानिक देशभक्ति से जुड़ा है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, ध्यान रखा जाए कि किसी भी व्यावसायिक हित में राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके अलावा किसी भी तरह की गतिविधि में ड्रामा क्रिएट करने के लिए भी राष्ट्रीय गान का इस्तेमाल नहीं होगा, तथा राष्ट्रीय गान को वैरायटी सॉन्ग के तौर पर भी नहीं गाया जाएगा।


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