दलित हिंसा के इन चर्चित मामलों से मोदी सरकार की हुई किरकिरी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 03, 2018 - 05:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क, आशीष पाण्डेय: एक समय था जब दलितों पर अत्याचार होने पर मोदी सार्वजनिक रूप से बयान जारी किया करते थे। जब दलितों पर हमले हो रहे थे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहना पड़ा था कि अगर किसी को हमला करना हैं तो मुझ पर करें लेकिन दलितों पर नहीं। लेकिन मुंबई में दलित हिंसा पर उनकी चुप्पी को लोकसभा में चुनौती दी जा रही है। वर्ष 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद दलित हिंसा के कुछ मामलों ने सरकार की किरकिरी कर दी। कांग्रेस ने संसद में आरोप लगाया कि जहां-जहां बीजेपी की सरकारें हैं वहां दलितों का उत्पीड़न बढ़ा है। हालांकि, महाराष्ट्र की घटना के लिए बीजेपी ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा। लेकिन अगर गौर करें तो देश के अलग-अलग राज्यों में दलितों पर हमले की घटनाएं लगातार चर्चा में हैं। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में दलितों पर कई ऐसे उत्पीड़ने के मामले सामने आए, जिन्हें लेकर बड़े स्तर पर हंगामा हुआ। पढ़ें, मोदी सरकार के दौरान दलित हिंसा से जुड़े चर्चित मामले...
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200 साल पुराने मामले में दलित-मराठा संघर्ष
महाराष्ट्र के पुणे में भीमा-कोरेगांव की ऐतिहासिक लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर 1 जनवरी को कुछ दलित समूहों द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। आरोप है कि कुछ कथित तौर पर हिंदुवादी संगठनों द्वारा हिंसक हमले किए गए। कार्यक्रम में आए दलितों की गाड़ियां जला दी गईं और उन्हें मारा पीटा गया। इस हमले में एक की मौत हो गई। हिंसा से गुस्साए दलित समूहों ने सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन किया और मुंबई को पूरी तरह से ठप्प कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र जातीय हिंसा की आग के शोलों में झुलस गया। बुधवार को दलित नेता प्रकाश अंबेडकर ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया, इसका असर ये रहा कि पूरा प्रदेश बंद और आंदोलनकारी सड़क पर उतरकर अपने गुस्से का इजहार किया।
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पुराना है मोदी और जिग्नेश का झगड़ा 
गुजरात मॉडल की नरेंद्र मोदी द्वारा देश भर में बखान किया गया। लेकिन सच्चाई कुछ और ही निकली। मोदी के गृहराज्य गुजरात में ऊना की घटना ने देश को शर्मसार कर दिया था। 11 जुलाई 2016 को गुजरात के ऊना में कुछ दलित युवकों को मृत गाय की चमड़ी निकालने की वजह से गौ रक्षक समिति का सदस्यों ने सड़क पर बुरी तरह पीटा। दलितों की पिटाई का वीडियो भी जारी किया था। ऊना की इस घटना के बाद प्रदेश के दलित समाज के युवा सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने उतरे। यहां तक कि उन्होंने मरी हुई गायों को उठाने से मना कर दिया। ऊना की घटना को लेकर दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आंदोलन किया और उन्हें दलितों के साथ मुस्लिमों का भी सहयोग मिला। इस घटना की आवाज संसद में गूंजी तो मोदी सरकार बैकफुट में नजर आई। गुजरात चुनाव में जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी के खिलाफ प्रचार किया। चुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं।
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यूपी में योगी सरकार बनते ही राजपूत-दलित संघर्ष 
उत्तर प्रदेश की सत्ता पर योगी आदित्यनाथ के विराजमान होने के एक महीने बाद ही सहारनपुर के शब्बीरपुर में राजपूत-दलितों के बीच खूनी संघर्ष हुआ। पहले 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के दौरान सहारनपुर के दुधली गांव में शोभायात्रा निकालने के दौरान दो गुटों में संघर्ष हुआ। इसके बाद 5 मई को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर शब्बीरपुर के पास गांव सिमराना में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर ठाकुरों ने महाराणा प्रताप शोभायात्रा और जुलूस निकाला। दलित समाज के लोगों ने विरोध किया और जुलूस निकलने नहीं दिया। यहीं से बात बिगड़ी और शब्बीरपुर में दलितों और ठाकुरों के बीच हुई तनातनी ने उग्र रूप धारण कर लिया, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच पथराव, गोलीबारी और आगजनी भी हुई। क्षत्रिय समाज के लोगों ने दलितों के घरों को तहस नहस कर दिया। इस मामले में करीब 17 लोग गिरफ्तार हुए। दलित नेता चंद्रशेखर रावण मुख्य आरोपी के तौर पर अभी भी जेल में हैं।
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वेमुला आत्महत्या मामले में भी फजीहत
हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे दलित छात्र रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को आत्महत्या कर ली थी। हैदराबाद विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने नवंबर 2015 में पांच छात्रों को हॉस्टल से निलंबित कर दिया था, जिनके बारे में कहा गया था कि ये सभी दलित समुदाय से थे। कहा गया था कि कॉलेज प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई के कारण रोहित वेमुला ने आत्महत्या की। इसके बाद देश भर में दलित सुमदाय के लोगों और छात्रों ने रोहित की आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
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हरियाणा में दलितों के घर में लगाई आग
हरियाणा में भी बीजेपी की सरकार है। प्रदेश के फरीदाबाद जिले के सुनपेड़ गांव में एक दलित परिवार को जिंदा जला दिया गया। इस घटना में दो बच्चों की मौत हो गई थी और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। सुनपेड़ गांव में करीब 20 फीसदी आबादी दलितों की है और 60 फीसदी सवर्ण हैं। कहा जाता है कि सवर्ण परिवार के लड़के दलित परिवार को परेशान कर रहे थे। एक पुरानी रंजिश के मामले में गांव के सवर्ण जाति के लोग दलित जितेंद्र के घर दाखिल हुए और पेट्रोल डालकर पूरे परिवार को जिंदा जला दिया। इसमें दो बच्चों की मौत हो गई और बाकी परिवार के लोग आग में झुलस गए।


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