अब ग्राहकों का पैसा रहेगा सुरक्षित, RBI की निगरानी में आए को-ऑपरेटिव बैंक
punjabkesari.in Wednesday, Jun 24, 2020 - 04:29 PM (IST)
नेशनल डेस्क: सरकार ने बुधवार को ऐलान किया कि सभी सहकारी बैंकों और बहु- राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की देख रेख के तहत लाया जायेगा। सरकार के इस कदम का मकसद सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को संतुष्टि और सुरक्षा देना है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुये सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों और बहु- राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के बेहतर परिचालन के वास्ते रिजर्व बैंक के निरीक्षण के दायरे में लाया जायेगा।
जावड़ेकर ने कहा कि अब तक केवल वाणिज्यिक बैंक ही रिजर्व बैंक के निरीक्षण के तहत आते रहे हैं लेकिन अब सहकारी बैंकों का निरीक्षण भी रिजर्व बैंक करेगा। उन्होंने कहा कि जमाकर्ताओं को भरोसा मिलेगा की उनका पैसा सुरक्षित है। इस बारे में जल्द ही अध्यादेश जारी किया जायेगा। देश में कुल मिलाकर 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 के करीब बहु- राज्यीय सहकारी बैंक है जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हुये हैं।
सरकार का यह कदम इस लिहाज से काफी अहम है कि पिछले कुछ समय में कई सहकारी बैंकों में घोटाले सामने आये हैं और इससे बैंक के जमाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है। पंजाब एण्ड महाराष्ट्र सहकारी बैंक में घोटोले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा। बैंक के जमाकर्ता ग्राहकों को घोटाले के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से काफी परेशानी उठानी पड़ी। इससे पहले मंत्रिमंडल ने सहकारी बैंकों को मजबूत बनाने और पीएमसी बैंक जैसे संकट से बचने के लिये बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है।
इसके साथ ही सरकार ने अपनी प्रमुख योजना प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत शिशु कर्ज श्रेणी के कर्जदाताओं को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देने को मंजूरी दे दी है। शिशु श्रेणी के अंतर्गत लाभार्थियों को 50,000 रुपये तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। पात्र कर्जदाताओं को 31 मार्च 2020 तक के बकाया ऋण पर ब्याज सहायता 12 महीने के लिये मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को पीएमएमवाई की शुरूआत की थी। इसके तहत 10 लाख रुपये तक का कर्ज लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को दिया जाता है। मुद्रा कर्ज के नाम से चर्चित यह ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटी राशि के कर्ज कर्ज देने वाले संस्थान (एमएफआई) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां देती हैं।