RBI MPC Meeting: दिवाली से पहले Home Loan लेने वालों को बड़ा झटका, EMI पर बड़ा फैसला जल्द...
punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2024 - 01:05 PM (IST)
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की महत्वपूर्ण बैठक आज से शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि बैठक में रीपो रेट को स्थिर रखा जा सकता है, भले ही खुदरा मुद्रास्फीति और वैश्विक संकट, विशेष रूप से पश्चिम एशिया में तनाव, चिंता का विषय बने हुए हैं। आरबीआई की 7 से 9 अक्टूबर तक चलने वाली तीन दिवसीय द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (MPC) में ब्याज दर को लेकर चर्चा की जाएगी। इस बार आरबीआई (RBI) की तरफ से रेपो रेट में कटौती की संभावना नहीं है,उनका कहना है कि खुदरा महंगाई दर अब भी चिंता का कारण बनी हुई है।
Repo rate में बदलाव
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए RBI, अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण करते हुए दरों में कटौती की संभावना नहीं दिखा रहा है। फरवरी 2023 से, RBI ने रीपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा है। जबकि खुदरा मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है, RBI का लक्ष्य उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति को 4% (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर बनाए रखना है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि सितंबर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति 6% से ऊपर रहने की उम्मीद है, इसलिए रीपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक से पहले विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि इस बार ब्याज दरों में किसी प्रकार की कटौती की संभावना नहीं है। होम लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए यह एक निराशाजनक खबर हो सकती है, क्योंकि ब्याज दरों में कमी से लोन की दरों में राहत मिलती है।
अक्टूबर की शुरुआत में, सरकार ने आरबीआई की दर-निर्धारण समिति यानी मौद्रिक नीति समिति (MPC) का पुनर्गठन किया, जिसमें तीन नए बाहरी सदस्यों को नियुक्त किया गया है। यह पुनर्गठित समिति अपनी पहली बैठक 9 अक्टूबर को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में करेगी, जिसमें तीन दिनों के विचार-विमर्श के बाद ब्याज दरों से संबंधित निर्णय लिया जाएगा।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि खुदरा मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते इस बार दरों में बदलाव की संभावना कम है।
शेयर बाजार पर असर
इस सप्ताह बाजार की दिशा भी MPC के फैसले, पश्चिम एशिया संकट, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की गतिविधियों पर निर्भर करेगी। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के तिमाही नतीजे और घरेलू आर्थिक आंकड़े भी बाजार पर असर डाल सकते हैं।