ओडिशा में आज से तीन दिनों तक मनाया जाएगा रजोत्सव, पहनेंगी नए कपड़े, करेंगी नाच गाना और पुरुष बनाएंगे खाना
punjabkesari.in Friday, Jun 14, 2024 - 11:57 AM (IST)

नेशनल डेस्क: ओडिशा में शुक्रवार से 3 दिन का महिलाओं का त्योहार रजोत्सव शुरू हो रहा है। इन तीन दिनों में महिलाओं से कोई काम नहीं कराया जाएगा। घर के पुरुष ही उनके लिए तीनों दिन खाना बनाएंगे। सभी उम्र की लड़कियां और महिलाएं मिलकर सिर्फ उत्सव मनाएंगी, नाच-गान करेंगी। उनके लिए जगह-जगह झूले लगाए जा रहे हैं। वे तीनों दिन रोज नए और पारंपरिक कपड़े पहनेंगी, जिनमें ज्यादातर साड़ियां होंगी। लड़कियां हाथों और पैरों में मेहंदी रचा रही हैं। मान्यता है कि इन तीन दिनों में धरती मां रजस्वला रहती हैं। इसलिए यह पर्व मनाया जाता है।
पहला दिन पहिली रजो के नाम से जाना जाता है, जिसे धरती के मासिक धर्म का पहला दिन कहा जाता है। दूसरा दिन भूदेवी के रजस्वला का होता है। मिथुन संक्रांति कहलाता है। तीसरे दिन शेष रजो मनाया जाता है। इसे भूदहा या बासीरजो कहा जाता है। इस बार ये त्योहार 14 से 16 जून तक मनाया जा रहा है। है। रजोत्सव रजोत की एक खासियत इसके पकवान हैं। तीन दिन तक घरों में भगवान जगन्नाथ की पसंदीदा मिठाई पोड़ा पीठा खाई जाती है। इसके साथ चाकुली पीठा, मंडा पीठा, आरिसा पीठा मिठाइयां भी होती हैं।
रजोत्सव मनाने वाली महिला स्वर्ण लता मुदुली कहती हैं- रजोत्सव में महिलाओं का खाना बनाना मना होता है। इसलिए एक दिन पहले ही पीठा और दूसरे पकवान तैयार कर लिए जाते हैं। इस उत्सव में हर बार खाने के बाद पान जरूर खाया जाता है। इस परंपरा को भी भगवान जगन्नाथ से जोड़ा जाता है। महाप्रभु रोज खाना खाने के बाद एक विशेष पान खा के सोते हैं। उसी तरह बिना पान के रजोत्सव अधूरा माना जाता है। इसीलिए घर-घर में अलग-अलग करीब 15 मसालों से विशेष पान बनाया जाता है। लड़कियां ये पान बांटती हैं। पंडित जीवनानन्द शत्पथी बताते हैं कि रजोत्सव के दौरान तीन दिन तक लड़कियां और महिलाएं नंगे पैर ही चलती हैं, ताकि धरती मां को कोई कष्ट ना हो। अगर किसी के लिए नंगे पैर चलना संभव ना हो तो केले के पत्ते बांध सकती।