Medical Nobel Prize 2025 : इन 3 वैज्ञानिकों को मिला सम्मान, ऑटोइम्यून बीमारियों का इलाज होगा आसान
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 04:29 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एक बार फिर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो गई है। साल 2025 का Nobel Prize in Physiology or Medicine के लिए अमेरिका की मैरी ई. ब्रंकॉ, अमेरिका के फ्रेड राम्सडेल और जापान के शिमोन सकागुची को दिया गया है। यह सम्मान उन्हें 'पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस' (Peripheral Immune Tolerance) यानी शरीर के बाहरी हिस्सों में इम्यून सिस्टम की सहनशीलता से जुड़ी क्रांतिकारी खोजों के लिए दिया गया है।
स्टॉकहोम में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट ने सोमवार को यह घोषणा की। इस खोज से शरीर की रक्षा प्रणाली को समझने में क्रांति आ गई है, जिससे रूमेटॉइड आर्थराइटिस, टाइप-1 डायबिटीज और ल्यूपस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज का रास्ता खुलेगा।
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BREAKING NEWS
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2025
The 2025 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell and Shimon Sakaguchi “for their discoveries concerning peripheral immune tolerance.” pic.twitter.com/nhjxJSoZEr
क्या है यह खोज और क्यों है इतनी ख़ास?
हमारा इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) हमें वायरस और बैक्टीरिया जैसे बाहरी खतरों से बचाता है। लेकिन कभी-कभी यही सिस्टम गलती से शरीर के अपने ही अंगों पर हमला कर देता है, जिसे ऑटोइम्यून बीमारी कहते हैं।
पहले वैज्ञानिक मानते थे कि इम्यून सेल्स (रोगाणु से लड़ने वाली कोशिकाएं) शरीर के अंदर ही टॉलरेंट बन जाती हैं, जिसे सेंट्रल इम्यून टॉलरेंस कहते हैं। इस बार के विजेताओं ने यह साबित किया कि शरीर के बाहरी हिस्सों (पेरिफेरल) में भी एक ख़ास नियंत्रण तंत्र काम करता है। यह तंत्र इम्यून सिस्टम को काबू में रखता है, जिससे शरीर के अंग सुरक्षित रहते हैं।
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Mary Brunkow, Fred Ramsdell and Shimon Sakaguchi have been awarded the 2025 Nobel Prize in Physiology or Medicine for their groundbreaking discoveries concerning peripheral immune tolerance that prevents the immune system from harming the body.
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2025
The Nobel Prize laureates… pic.twitter.com/h2yVHYSbxH
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Our immune system is an evolutionary masterpiece. Every day it protects us from the thousands of different viruses, bacteria and other microbes that attempt to invade our bodies. Without a functioning immune system, we would not survive.
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2025
One of the immune system’s marvels is its… pic.twitter.com/TzBWuIrTgn
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इम्यून सिस्टम पर 'ब्रेक' लगाने वाली कोशिका की खोज
यह खोज 1990 के दशक में शुरू हुई थी।
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जापान के शिमोन सकागुची ने 'रेगुलेटरी टी सेल्स' (Tregs) नामक कोशिकाओं की खोज की। उन्होंने दिखाया कि ये कोशिकाएं इम्यून सिस्टम पर 'ब्रेक' लगाने का काम करती हैं। अगर ये कोशिकाएं कमज़ोर हो जाएं, तो इम्यून सिस्टम शरीर के अंगों पर हमला करना शुरू कर देता है। सकागुची की खोज ने ऑटोइम्यून रोगों की समझ बदल दी।
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अमेरिका के मैरी ई. ब्रंकॉ और फ्रेड राम्सडेल ने फॉक्सपी3 (FOXP3) जीन की खोज की, जिसे Tregs कोशिकाओं का 'मास्टर स्विच' कहा जाता है। उन्होंने पाया कि FOXP3 में गड़बड़ी होने से IPEX सिंड्रोम होता है, जिसमें इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर पर हमला करता है।
इन तीनों वैज्ञानिकों ने मिलकर यह साबित किया कि सेंट्रल टॉलरेंस के अलावा पेरिफेरल टॉलरेंस भी ज़रूरी है।
करोड़ों मरीज़ों के लिए उम्मीद की नई किरण
यह पुरस्कार दुनिया भर के उन 50 मिलियन से ज़्यादा लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद है, जो ऑटोइम्यून बीमारियों से जूझ रहे हैं।
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इलाज: इस खोज से विकसित हुई Tregs थेरेपी अब ऑटोइम्यून बीमारियों, अंग ट्रांसप्लांट में रिजेक्शन कम करने और एलर्जी के इलाज में इस्तेमाल हो रही है।
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कैंसर: Tregs को नियंत्रित करके कैंसर के इलाज में इम्यून सिस्टम को और मजबूत बनाया जा सकता है।
नोबेल समिति ने कहा कि यह खोज इम्यून सिस्टम को नियंत्रित रखने का वैज्ञानिक तरीक़ा बताती है। पुरस्कार राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग ₹8.5 करोड़) है, जो तीनों विजेताओं में बांटी जाएगी। यह पुरस्कार समारोह दिसंबर में स्टॉकहोम में होगा।