शहीद कैप्टन की पत्नी ने शेयर की दिल को झकझोर देने वाली कहानी, पोस्ट वायरल

punjabkesari.in Tuesday, Jul 04, 2017 - 10:05 AM (IST)

नई दिल्ली: देश की सरहद की रक्षा करने वाले जवान सिर्फ देश के लिए जीते हैं और देश के लिए ही मरते हैं। अगर पूरा देश चैन की नींद सोता है तो वो फौजी की वजह से और देश की जनता सेना का यह ऋण कभी उतार नहीं सकती। एक फौजी की जिंदगी आसान नहीं होती है और हर रोज अपने साथ मौत लेकर चलता है। सरहद पर भी उन्हेें न जाने कितनी ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ता। घर-परिवार का सुख त्याग कर उनसे दूर रहकर देश के लिए लड़ने का जज्बा हर किसी में नहीं होता और जिनमें होता है वो कभी पीछे नहीं हटते। जब एक फौजी देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर देता है तो उस परिवार का जज्बा भी काबिले तारीफ होता है जो यह कहता है कि हम अपने दूसरे बेटे को भी धरती मां की रक्षा के लिए बार्डर पर भेजेंगे। यह शब्द कहने आसान नहीं है। धन्य होते हैं वो माता-पिता, पत्नी और बच्चे जो देश के लिए त्याग करते हैं।

कुछ ऐसी ही शौर्य से भरी कहानी है शहीद कैप्टन शफीक घोरी की पत्नी सलमा के त्याग की। सलमा की कहानी दिल को झकझोर देती है। सलमा ने फेसबुक पेज BeingYou पर अपनी कहानी शेयर की है। सलमा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि 19 साल की उम्र में 1991 में कैप्टन शफीक घोरी के साथ उनकी शादी हुई लेकिन 29 साल की उम्र में सलमा ने अपने सुहाग को खो दिया। कैप्टन शफीक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। सलमा ने लिखा कि उनकी शादीशुदा जिंदगी की अवधि छोटी थी लेकिन शानदार थी। तब वहां फोन जल्दी नहीं मिलते थे लेकिन पति मुझे हररोज एक खत लिखते थे ताकि किसी भी दिन मुझे उनकी कमी न महसूस हो। कुछ समय बाद उनकी पोस्टिंग हाई रिस्क एरिया में हो गई लेकिन मैं पहले से ज्यादा मजबूत हो गई थी, एक फौजी की पत्नी की जिम्मेदारियां क्या होती है इसका एहसास मुझे हो गया था। सलमा ने लिखा, मैं जानती थी कैप्टन शफीक सबसे पहले अपने देश को प्यार करते हैं फिर दूसरे नबर पर उनका परिवार आता था।

21 जुलाई 2001 को शाम कुछ आर्मी ऑफिसर्स और उनकी पत्नियां सलमा के पास पहुंची और बताया कि कैप्टन शफीक अब नहीं रहे लेकिन उन्हें यकीन नहीं हुआ। एक आर्मी ऑफिसर की पतनी ने बताया कि वे सुबह से उनसे संपर्क करने की कोशिश करे थे लेकिन फोन लाइनें डिस्कनेक्ट दी थीं जिस वजह से आपसे बात नहीं हो पाई। कैप्टन शफीक घोरी ऑप्रेशन रक्षक में शहीद हो चुके थे। उसी दिन शफीक का आखिकी खत सलमा को मिला। अगले दिन सलमा एयरपोर्ट पर  कैप्टन शफीक का पार्थिव शरीर लेने पहुंची तो तिरंगे में लिपटा पति का शव देख वे टूट गईं। हालांकि कैप्टन हमेशा कहते थे कि तुम मजबूत बनी रहना। उन्हें सेना अधिकारियों ने कैप्टन की यूनीफार्म और दूसरे अन्य कपड़ों का बॉक्स सौंपा।

सलमा ने लिखा, 'मुझे इतने सालों में कभी नहीं लगा कि कैप्टन शफीक उनके साथ नहीं हैं। उनके पैसे वैसे ही उनके वॉलेट में पड़े हुए हैं। उनके भेजे सारे खत उनकी जिंदगी का हिस्सा हैं।'' अब वे मां ही नहीं पिता का भी फर्ज निभाती हैं। कैप्टन शफीक के जाने के बाद सभी ने सलमा को आगे बढ़ने की सलाह दी लेकिन वे नहीं मानी और शफीक के लिए जीने की ठान ली। सलमा ने लिखा है कि कैप्टन शफीक उनके थे, हैं और हमेशा उनके ही रहेंगे। मौजूदा समय में सलमा शहीद फौजियों के परिवार के कल्याण और महिला सशक्तिकरण के लिए कर्नाटक में काम करती हैं। सलमा की कहानी पढ़ हर कोई उन्हें सलूट कर रहे है क्योंकि पूरी जिंदगी किसी की याद में गुजारना वो भी इतनी हिम्मत के साथ, अपने आप में सलमा एक मिसाल हैं। सलमा की इस पोस्ट को 36,082 लोग शेयर कर चुके हैं।


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