भारत में घर पर शाकाहारी भोजन बनाना अब 20% महंगा, इस रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2024 - 10:41 AM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत में अक्टूबर 2024 में घर पर शाकाहारी भोजन की लागत में 20% की बढ़ोतरी हुई है। यह जानकारी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट "रोटी चावल दर (आरआरआर)" से मिली है। रिपोर्ट के अनुसार, शाकाहारी भोजन की बढ़ी हुई लागत मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में इज़ाफे की वजह से है। इस बढ़ोतरी के कारण अब शाकाहारी थाली बनाना पहले से ज्यादा महंगा हो गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 की तुलना में अक्टूबर 2024 में घर पर बने शाकाहारी थाली की लागत में 20% का इज़ाफा हुआ है, जबकि नॉन-वेज (मांसाहारी) थाली की लागत में 5% की बढ़ोतरी हुई है। यह एक दिलचस्प स्थिति है क्योंकि पिछले 12 महीनों से नॉन-वेज थाली की लागत में लगातार गिरावट देखी जा रही थी। पिछले महीने के मुकाबले, शाकाहारी थाली की लागत में 6% और नॉन-वेज थाली की लागत में 4% की वृद्धि हुई है।
सब्जियों की कीमतों में उछाल
शाकाहारी थाली की बढ़ी हुई लागत के पीछे सबसे बड़ा कारण सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतें हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सब्जियां शाकाहारी थाली की लागत का लगभग 40% हिस्सा बनाती हैं। सब्जियों की कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण शाकाहारी भोजन की लागत में इज़ाफा हो रहा है। उदाहरण के लिए, प्याज और आलू की कीमतों में पिछले साल के अक्टूबर से अक्टूबर 2024 तक क्रमशः 46% और 51% की वृद्धि हुई है। प्याज की कीमतों में पिछले महीने की तुलना में 6% की और बढ़ोतरी देखी गई है। टमाटर की कीमतें भी बढ़ी हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ और इससे टमाटर की कीमतें दोगुनी हो गईं। अक्टूबर 2023 में ₹29/किग्रा कीमत वाला टमाटर इस साल अक्टूबर में ₹64/किग्रा हो गया, जो कि पिछले महीने से 39% अधिक है। इसके अलावा, त्योहारी सीजन के कारण सब्जियों की कीमतों में और भी बढ़ोतरी हुई। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नवंबर 2024 में मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से आपूर्ति बढ़ने की संभावना है, जिससे कीमतों में कुछ राहत मिल सकती है।
दालों और अन्य खाद्य सामग्रियों की कीमतों में बदलाव
दालों की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, दालों की कीमतों में 11% की बढ़ोतरी हुई है, जो कि सब्जी थाली की कुल लागत का 9% हिस्सा हैं। यह बढ़ोतरी खासतौर पर कम स्टॉक, कम आयात और त्योहारी मांग के कारण हुई है। दालों की कीमतों में गिरावट की उम्मीद दिसंबर 2024 से है, जब नई फसल की आवक शुरू होगी। इसके अलावा, वनस्पति तेल की कीमतों में भी 10% की वृद्धि हुई है। इसकी वजह आयात शुल्क में वृद्धि और त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग बताई जा रही है। हालांकि, ईंधन की कीमतों में कमी आई है। दिल्ली में एलपीजी सिलेंडर की कीमत मार्च 2024 में ₹803 रही, जो पिछले साल सितंबर में ₹903 थी। इस तरह, गैस की कीमत में 11% की कमी आई है।
नॉन-वेज थाली में ब्रॉयलर कीमतों में गिरावट
नॉन-वेज थाली की कीमतों में भी बदलाव आया है, लेकिन इसमें एक दिलचस्प बात यह रही कि ब्रॉयलर (चिकन) की कीमतों में 9% की गिरावट देखी गई। ब्रॉयलर की कीमत नॉन-वेज थाली की कुल लागत का लगभग 50% होती है। हालांकि, सब्जियों की कीमतों में इज़ाफे ने नॉन-वेज थाली की कीमतों में बढ़ोतरी को मात दी और इसकी कुल लागत में सिर्फ 5% की वृद्धि हुई।
कितनी बढ़ी शाकाहारी और नॉन-वेज थाली की कीमतें?
क्रिसिल रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2024 तक शाकाहारी थाली की कीमतों में 20% और नॉन-वेज थाली की कीमतों में 5% का इज़ाफा हुआ है। पिछले महीने (सितंबर 2024) की तुलना में शाकाहारी थाली की कीमत में 6% और नॉन-वेज थाली की कीमत में 4% की वृद्धि हुई है।
थाली की लागत की गणना कैसे की जाती है?
इस रिपोर्ट में "थाली की लागत" की गणना घर पर पकाए गए भोजन की औसत लागत पर आधारित है, जिसमें अनाज, दालें, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल, ब्रॉयलर (मांसाहारी भोजन) और रसोई गैस जैसे इनपुट लागत शामिल हैं। यह औसत की गणना भारत के विभिन्न हिस्सों—उत्तर, दक्षिण, पश्चिम और पूर्व—में प्रचलित कीमतों के आधार पर की जाती है।
क्या आगे कीमतों में राहत मिलेगी?
वर्तमान में, सब्जियों और खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन आगामी महीनों में कुछ राहत की संभावना भी जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से आपूर्ति बढ़ने से नवंबर 2024 में कीमतें स्थिर हो सकती हैं। इसके अलावा, नई फसल की आवक से दालों की कीमतों में गिरावट आ सकती है। भारत में घर पर शाकाहारी और नॉन-वेज थाली की लागत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, खासतौर पर सब्जियों और अन्य खाद्य सामग्रियों की बढ़ी हुई कीमतों के कारण। इस रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि घर पर भोजन पकाने की लागत अब पहले से ज्यादा महंगी हो गई है, जिससे आम आदमी पर बोझ बढ़ रहा है। हालांकि, आने वाले महीनों में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, जब नई फसल की आवक शुरू होगी और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होगा।