एक लाख का कर्ज पहुंचा 74 लाख... साहूकारों ने विदेश भेजकर किसान की निकलवा ली किडनी
punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 11:29 AM (IST)
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के नागभीड़ तहसील के मिंथुर गांव से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है, जिसने समाज और मानवता को शर्मसार कर दिया है। यहां का किसान रोशन सदाशिव कुडे, जो चार एकड़ जमीन पर खेती करता था, साहूकारों के अत्यधिक कर्ज के दबाव में आकर अपनी किडनी बेचने पर मजबूर हो गया। रोशन कुडे ने खेती के लगातार घाटे के बाद डेयरी व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने अलग-अलग साहूकारों से लगभग 1 लाख रुपये उधार लिए। लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। खरीदी गई गायें मर गईं और फसल भी बर्बाद हो गई। इसके बाद कर्ज का जाल और गहरा हो गया।
1 लाख का कर्ज, 10 हजार रुपये प्रतिदिन का ब्याज
साहूकारों का दबाव इतना बढ़ गया कि वे रोशन के घर आकर उन्हें परेशान करने लगे। कर्ज चुकाने के लिए रोशन ने अपनी दो एकड़ जमीन, ट्रैक्टर और घर के कीमती सामान तक बेच दिए। लेकिन 1 लाख रुपये का मूलधन अचानक 74 लाख रुपये तक पहुंच गया। बताया गया है कि साहूकार 1 लाख पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये का ब्याज वसूल रहे थे।
किडनी बेचने की अनमनी सलाह
सब कुछ बेच देने के बावजूद जब कर्ज कम नहीं हुआ, तो एक साहूकार ने रोशन को अपनी किडनी बेचने की सलाह दी। इसके बाद रोशन को एक एजेंट के जरिए पहले कोलकाता ले जाया गया, जहां उनकी मेडिकल जांच हुई। फिर उन्हें कंबोडिया भेजा गया, जहां सर्जरी कर उनकी किडनी निकाल ली गई और 8 लाख रुपये में बेची गई। लेकिन साहूकारों की लालसा इसके बाद भी शांत नहीं हुई। रोशन का आरोप है कि उन्होंने पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। रोशन कहते हैं कि अगर समय रहते पुलिस कार्रवाई करती, तो उन्हें इस शारीरिक और मानसिक पीड़ा से गुजरना नहीं पड़ता।
कर्ज का बोझ अब भी कायम
किडनी बेचने के बाद भी साहूकारों का दबाव कम नहीं हुआ। कर्ज का पहाड़ अब भी भारी है और रोशन के पास कुछ बचा नहीं है। हताश होकर उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि न्याय नहीं मिला, तो वे अपने पूरे परिवार के साथ मंत्रालय के सामने आत्मदाह करने को मजबूर हो सकते हैं।
साहूकारों के नाम
पीड़ित किसान ने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रताड़ित करने वाले साहूकार हैं: किशोर बावनकुले, मनीष कालबांडे, लक्ष्मण उरकुडे, प्रदीप बावनकुले, संजय बल्लारपूरे और लक्ष्मण बोरकर। सभी साहूकार ब्रह्मपुरी शहर के निवासी बताए जा रहे हैं। यह मामला ना केवल किसान की दर्दनाक कहानी है, बल्कि हमारी समाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह है कि इंसानियत को शर्मसार करने वाले इस मामले में अगला कदम क्या होगा।
