अब शीला दीक्षित के सामने चुनौतियों का अंबार
punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2019 - 11:04 AM (IST)
नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): आम चुनाव में लोकसभा की 7 सीटों के लिए बेशक गठबंधन की बयार परवान नहीं चढ़ सकी है और इसे लेकर पार्टी हाईकमान के समक्ष नेताओं के बीच तकरार भी खुलकर देखने को मिली। एक बात जरूर है यदि दिल्ली में कांग्रेस अपने दम पर अकेले चुनाव मैदान में उतरती है, तो परिणाम को लेकर शीला दीक्षित को जरूर कुछ खास कर दिखाना होगा। माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष शीला के आगे अब सबसे बड़ी चुनौती कार्यकर्ताओं को एकजुट कर चुनाव लडऩे की होगी। इसके साथ ही उन्हें वोट बैंक बढ़ाने के लिए पहली बार वोटर बने युवाओं पर खास नजर रखनी होगी।
युवा मतदाताओं को देनी होगी खास तवज्जो
कांग्रेस के पाले में लाने के लिए युवा मतदाताओं का खास तवज्जो देनी होगी। इसके साथ ही गत चुनाव के दौरान कांग्रेस का पारंपरिक मतदाता जो उसका साथ छोड़ गया था, जैसे अनधिकृत कॉलोनियों, पुनर्वास बस्तियों, झुग्गी झोपड़ी कॉलोनियों के मतदाताओं को अपने पक्ष में लाना बहुत जरूरी होगा। इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश कांग्रेस की ओर से आगामी 11 मार्च को दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पार्टी के बूथ अध्यक्षों के एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। उस सम्मेलन को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी संबोधित करेंगे।
चुनाव में कुल मिलाकर बनाए जाएंगे 13800 बूथ
चुनाव में कुल मिलाकर 13800 बूथ बनाए जाएंगे इसके अलावा पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता भी काफी संख्या में शामिल होंगे। वैसे माकन को नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩा है और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित पूर्वी दिल्ली से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। दरअसल जब शीला ने राहुल से कहा कि हम दिल्ली में अच्छी स्थिति में आ रहे हैं और अपने दम पर चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं। तो माकन ने उनसे पूछ लिया, तब आप संदीप दीक्षित को दिल्ली से चुनाव क्यों नहीं लड़वा रहीं? शीला ने इस पर कहा कि यह समय न तो इस चर्चा के लिए उपयुक्त है और न ही वह संदीप की ओर से इस बाबत कोई जवाब दे सकती हैं। तब माकन ने दोबारा कहा अगर संदीप दीक्षित दिल्ली से चुनाव नहीं लडऩा चाहते उन्हें हारने का डर है तो हम सब भी क्यों लड़ें?। इस पर शीला ने कोई जवाब नहीं दिया।
हमें अपने दम पर ही लडऩा चाहिए
बीते दिनों हुई बैठक में नेताओं की ओर से राहुल के सामने एक तर्क यह भी दिया गया था कि मुस्लिम मतदाता जो पहले आप की तरफ खिसक गए थे, अब वापस लौट रहे हैं। पार्टी आलाकमान को यह भी समझाया गया कि आखिर केजरीवाल गठबंधन के लिए इतने लालायित क्यों हैं?। केजरीवाल अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए कांग्रेस को एक बार फिर से यूज करना चाहते हैं। गठबंधन को खारिज करने की दिशा में शीला का यह तर्क भी राहुल को समझ में आया कि हम दिल्ली में फिर से खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप के साथ गठबंधन किया गया तो इस कोशिश पर पानी फिर जाएगा। हमें अपने दम पर ही चुनाव लडऩा चाहिए।