छत्तीसगढ़ चुनाव: ऐसा इत्तेफाक, जिसमें पिता कभी जीता नहीं और बेटा कभी हारा नहीं

punjabkesari.in Monday, Nov 19, 2018 - 06:23 PM (IST)

बिलासपुर: अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के इतिहास में एक दिलचस्प अध्याय ऐसा भी रहा है जिसमें पिता के खाते में एक भी चुनावी जीत दर्ज न हो सकी जबकि बेटा चार-चार चुनाव जीतने के बाद अब पांचवीं बार चुनाव मैदान में है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता रहे दिवंगत लखीराम अग्रवाल ने तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था और तीनों ही बार उन्हें शिकस्त मिली। वर्ष 1962 में लखीराम अग्रवाल ने अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ा। कांग्रेस के किशोरी मोहन त्रिपाठी ने यह चुनाव जीता। वर्ष 1977 में वह सरिया निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन इस बार भी कांग्रेस के नरेश चंद्र की जीत हुई। 

बिलासपुर सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे अमर अग्रवाल
लखीराम अग्रवाल ने वर्ष 1990 में खरसिया सीट से भाग्य आजमाया लेकिन किस्मत ने इस बार भी उन्हें दगा दे दिया और वह कांग्रेस के नंद कुमार पटेल से चुनाव हार गए। समय के बदलते दौर में लखीराम अग्रवाल के पुत्र अमर अग्रवाल ने चुनावी बिसात संभाली। बिलासपुर में भारतीय युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष के रूप में राजनीति में कदम रखने वाले अमर अग्रवाल 1998 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस उम्मीदवार अनिल टाह को हराया। इस जीत के बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

कांग्रेस के अनिल टाह को दी पटखनी
एक नवंबर 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बना और उसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में बिलासपुर सीट से अमर अग्रवाल ने कांग्रेस के अनिल टाह को दोबारा पटखनी दी। 2008 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों चिर-परिचित प्रतिद्वंदी तीसरी बार आमने-सामने थे और इस दफा भी पिछले दो चुनावों के परिणामों की पुनरावृत्ति हुई तथा अमर अग्रवाल ने जीत की हैट्रिक बनायी। पिछली बार 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार को टिकट दिये जाने का दांव खेलते हुए बिलासपुर नगर निगम की तत्कालीन महापौर वाणी राव को चुनाव मैदान में उतारा। अग्रवाल ने राव को पराजित कर बिलासपुर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। बहरहाल अमर अग्रवाल ने मौजूदा विधानसभा चुनाव में पांचवीं बार अपनी प्रत्यंचा में बाण चढ़ाया है। आम जनमानस में उत्सुकता है कि क्या इस दफा भी वह जीत का लक्ष्य भेद पाएंगे।


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Anil dev

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