डॉक्टर बोले- बचना मुश्किल! कीमो छोड़ा, जंगल में रातें बिताईं, 10 महीने में दो भयानक कैंसर शरीर से गायब
punjabkesari.in Saturday, May 17, 2025 - 12:02 PM (IST)

नई दिल्ली: जब दवाएं और इलाज भी उम्मीद छोड़ दें, तब कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपनी राह खुद बनाते हैं। ऐसी ही एक सच्ची कहानी सामने आई है, जहां एक व्यक्ति ने कैंसर से लड़ने के लिए न तो कीमो लिया और न ही रेडिएशन – बल्कि उसने प्रकृति का सहारा लिया और चमत्कारिक नतीजे पाए।
कैंसर हुआ, डॉक्टरों ने दी कीमो की सलाह
52 साल की उम्र में इस शख्स को ल्यूकेमिया (रक्त कैंसर) और लिंफोमा (लसीका ग्रंथि का कैंसर) का पता चला। डॉक्टरों ने तुरंत कीमोथेरेपी और रेडिएशन शुरू करने की बात कही। लेकिन उन्होंने कुछ अलग करने का फैसला लिया।
ठंडी नदी और जंगल बना 'इलाज'
इस व्यक्ति ने अपनी ही तरह का एक "प्राकृतिक ट्रायल" शुरू किया:
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187 मील (करीब 300 किलोमीटर) तैराकी 4°C के बर्फीले पानी में की
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हर हफ्ते एक रात जंगल में बिताई
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कैंसर से लड़ने की बजाय जीवन से प्यार करने का नजरिया अपनाया
उनका मानना था कि शरीर खुद ही बीमारी से लड़ने की क्षमता रखता है — बस उसे सही माहौल चाहिए।
रिपोर्ट ने डॉक्टरों को चौंकाया
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पहली तैराकी के बाद जब ब्लड टेस्ट हुआ तो ल्यूकेमिया गायब हो चुका था।
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10 महीने जंगल में समय बिताने के बाद लिंफोमा का नामोनिशान नहीं रहा।
उनके कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर ने यहां तक कहा, "अगर मैंने खुद उनका टेस्ट नहीं किया होता, तो यकीन नहीं करता कि उन्हें कभी कैंसर था!"
विज्ञान भी करता है समर्थन
इस तरह के प्राकृतिक तरीकों को आज विज्ञान भी समर्थन देता है:
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ठंडे पानी से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है
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जंगल में समय बिताने से शरीर के नैचुरल किलर सेल्स (NK Cells) 50 से 200 गुना तक बढ़ते हैं
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व्यायाम से कैंसर के दोबारा होने की संभावना कम होती है
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और सकारात्मक सोच व जीवन का उद्देश्य, जीवन को लंबा करते हैं
'दवा नहीं, आपकी ताकत असली इलाज है'
इस व्यक्ति का कहना है कि दवाएं आखिरी विकल्प होनी चाहिए, पहली नहीं। हर दवा के साइड इफेक्ट होते हैं, लेकिन प्रकृति के सिर्फ फायदे होते हैं।
64 साल की उम्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर
आज वो 64 साल के हैं, पूरी तरह स्वस्थ हैं और 2 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं। वे अब लोगों को बिना दवा, कीमो और रेडिएशन के अपनी प्राकृतिक हीलिंग पावर को जगाना सिखा रहे हैं।