जो रात में सोया, सुबह मलबे में मिला...अब बेसहारा हुए लोगों के घरों से हो रही चोरियां अब तक 387 मौतें, 180 लापता
punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2024 - 11:29 AM (IST)
वायनाड: केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन से तबाह हुए गांवों के निवासियों का कहना है कि प्राकृतिक आपदा की वजह से वे जान बचाने के लिए मजबूरन अपने घर छोड़कर अन्यत्र गए, लेकिन चोर राज्य के सबसे बड़े मानवीय संकट का फायदा उठाकर उनके घरों से सामान चुरा रहे हैं। बार-बार मिल रही इन शिकायतों के बाद पुलिस ने रात में गश्त बढ़ा दी है। कुछ प्रभावित लोगों ने अधिकारियों से चोरी करने के इरादे से रात में इलाके में घुसने वालों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने का आग्रह किया है।
बता दें कि अब मलबे को निकालने का काम शुरू हो गया है जिसमें कीचड़ से लथपथ या पत्थर के नीचे दबी लाशें मिल रही हैं। कुछ लाशें नदी में भी बहती दिखीं। वायनाड में मूसलाधार बारिश के बाद लैंडस्लाइड से ऐसी तबाही शायद ही पहले किसी ने देखी होगी। यह आपदा केदारनाथ त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं। जो रात में सोया था, कोई सोया ही रह गया तो कोई सुबह मलबे में मिला।
केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले में 599 बच्चों और छह गर्भवती महिलाओं समेत 2,500 से अधिक लोगों ने विभिन्न राहत शिविरों में आश्रय ले रखा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, वायनाड जिले के मेप्पडी और अन्य ग्राम पंचायतों में भूस्खलन प्रभावित लोगों के लिए कुल 16 राहत शिविर बनाए गए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, इन राहत शिविरों में 723 परिवारों के 2,514 लोगों ने आश्रय ले रखा है, जिनमें 943 पुरुष, 972 महिलाएं और 599 बच्चे शामिल हैं। राहत शिविरों में छह गर्भवती महिलाएं भी रह रही हैं। रविवार शाम तक के आंकड़ों के अनुसार, भूस्खलन प्रभावित इलाकों में मलबे से अब तक 221 शव और 166 मानव अंग बरामद किए जा चुके हैं। इसके अलावा, अधिकारी फोन पर कुछ लोगों से संपर्क करने में सफल रहे हैं, जिसके बाद लापता लोगों की संख्या 206 से घटकर 180 हो गई है।