इंश्योरेंस कंपनी के CEO की हत्या पर मनाए जा रहे जश्न ! गोलियों पर लिखे मिले थे ये 3 शब्द (Video)
punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2024 - 01:48 PM (IST)
Washington: अमेरिका में यूनाइटेड हेल्थकेयर के सीईओ (UnitedHealthcare CEO ) ब्रायन थॉम्प्सन (Brian Thompson )की गोली मारकर हत्या ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। जहां आमतौर पर हत्या के आरोपी की निंदा होती है, वहीं इस मामले में एक चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। हत्यारे 26 वर्षीय जोसेफ केनी के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे हैं, जो इस घटना को लेकर असामान्य रूप से जश्न मना रहे हैं। जोसेफ केनी पर ब्रायन थॉम्प्सन की हत्या का आरोप है, हालांकि इस हत्या के पीछे की असल वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। घटनास्थल पर मिली गोलियों पर लिखे शब्द "डिले," "डिनाय," और "पॉसिबली डिपोज़" ने सबका ध्यान खींचा। ये शब्द इंश्योरेंस कंपनियों में प्रचलित (3 D) डिले (देरी करना), डिनाय (मना करना), और डिफेंड (अपने फैसले का बचाव करना) का प्रतीक माने जा रहे हैं, जो इंश्योरेंस कंपनियों की विवादास्पद नीतियों से जुड़े हो सकते हैं।
The killing of UnitedHealthcare CEO Brian Thompson led to an outpouring of rage at the insurance industry.
— Bloomberg Podcasts (@podcasts) December 13, 2024
On today's Big Take podcast, @rileyraygriffin joins @davidgura to unpack how the world responded https://t.co/ip2QhP2PnA pic.twitter.com/7nzOuKSrnU
इस हत्या के बाद, सोशल मीडिया पर हो रही चर्चाओं से यह साफ जाहिर हो रहा है कि लोग इंश्योरेंस कंपनियों के प्रति गहरी नाराजगी महसूस कर रहे हैं। कई उपयोगकर्ताओं का मानना है कि इन कंपनियों का मुख्य उद्देश्य मुनाफा कमाना है, और वे क्लेम सेटलमेंट में अनावश्यक देरी करने और मना करने की आदत में हैं।
भारत में भी कुछ कंपनियों पर इसी तरह के आरोप लगते रहे हैं। स्टार हेल्थ का 2023 में क्लेम सेटलमेंट रेश्यो 75.10% था, लेकिन उसने ग्राहकों को मांग की गई राशि का केवल 54.61% ही चुकाया। इसी तरह, नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस ने 88% क्लेम सेटलमेंट रेश्यो होने के बावजूद सिर्फ 67% राशि का भुगतान किया। मणिपाल सिग्ना की स्थिति और भी खराब रही, जहां उसने ग्राहकों को केवल 56% राशि का भुगतान किया।
ब्रायन थॉम्प्सन की हत्या और उसके बाद सोशल मीडिया पर आरोपी के समर्थन में हो रहे पोस्ट एक भयावह संकेत हैं। यह दर्शाता है कि लोग इंश्योरेंस कंपनियों की कार्यप्रणाली से इतने निराश हो चुके हैं कि वे हत्या जैसे अपराध को भी किसी हद तक सही ठहरा रहे हैं। भारत में भी ग्राहक इंश्योरेंस क्लेम सेटलमेंट में आने वाली दिक्कतों से परेशान हैं, और उनका आरोप है कि कंपनियां पॉलिसी बेचने के समय बड़े-बड़े वादे करती हैं, लेकिन जब ग्राहक उन्हें अपने क्लेम के लिए संपर्क करते हैं, तो निराशा ही हाथ लगती है। यह घटना केवल इंश्योरेंस कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठाती, बल्कि यह एक सभ्य समाज की मूल्यों पर भी गहरा असर डालती है। इंश्योरेंस कंपनियों को अपने ग्राहकों के विश्वास को बनाए रखने के लिए अपनी नीतियों में सुधार की आवश्यकता है।