भारत के कूटनीति को खुली चुनौतीः G7 सम्मेलन दौरान पन्नू-पम्मा ने की मुलाकात, कनाडा सरकार की नीयत पर उठे सवाल(Video)

punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 04:26 PM (IST)

International Desk: जब कनाडा में G7 देशों की उच्च स्तरीय बैठक हो रही थी, ठीक उसी समय प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ)  के आत्म-घोषित अटॉर्नी जनरल गुरपतवंत सिंह पन्नू और इंग्लैंड में राजनीतिक शरणार्थी  भाई परमजीत सिंह पम्मा की वैंकूवर में सार्वजनिक मुलाकात  ने नई कूटनीतिक बहस छेड़ दी है। यह सिर्फ एक सामान्य मुलाकात नहीं थी, बल्कि यह उस वक्त हुई जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G7 सम्मेलन में भाग लेने का कनाडा से औपचारिक निमंत्रण दिया गया था। एक तरफ़ भारत वैश्विक मंच पर नेतृत्व कर रहा था, वहीं दूसरी ओर ऐसे व्यक्तियों की सार्वजनिक उपस्थिति जिन्हें भारत में  वांछित  घोषित किया गया है, को लेकर कनाडा की दोहरी नीति और भारत के कूटनीतिक हितों पर संभावित आघात  के रूप में देखा जा रहा है।
 

 SFJ और खालिस्तान एजेंडा भारत के लिए खुली चुनौती
सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) को भारत सरकार ने 2019 में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन  घोषित किया था। यह संगठन अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों में  खालिस्तान जनमत संग्रह  (Referendum) अभियान चला रहा है। गुरपतवंत सिंह पन्नू SFJ का प्रमुख चेहरा है और अक्सर भारत विरोधी बयानबाज़ी, वीडियो और डिजिटल मुहिमों में सक्रिय रहता है। वहीं परमजीत सिंह पम्मा, जो कि ब्रिटिश नागरिक नहीं हैं,  राजनीतिक शरण लेकर इंग्लैंड में रह रहे हैं । कनाडा में उनकी मौजूदगी और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उन्हें सुरक्षा प्रदान करना, सीधे तौर पर भारत के लिए एक संवेदनशील कूटनीतिक संदेश  है।

 

पम्मा की गिरफ्तारी और रिहाई 
2015 में पम्मा को पुर्तगाल में इंटरपोल के रेड नोटिस के तहत गिरफ्तार किया गया था। भारत सरकार ने उनकी प्रत्यर्पण की मांग की, लेकिन एक लंबी कानूनी प्रक्रिया और  SFJ के समर्थन के बाद पुर्तगाली अदालत ने भारत के पेश किए गए सबूतों को  राजनीतिक रूप से पक्षपाती और अपर्याप्त मानते हुए पम्मा को रिहा कर दिया। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह था कि  ब्रिटिश सरकार  ने पम्मा के प्रत्यर्पण का  खुले तौर पर विरोध किया  जिसके चलते भारत की रणनीति ध्वस्त हो गई। यह घटनाक्रम भारत की न्यायिक प्रणाली पर पश्चिमी देशों के अविश्वास  को उजागर करता है।

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 कनाडा में खालिस्तानी एजेंडे को हवा 
कनाडा में  हरदीप सिंह निज्जर की हत्या  के बाद पहले से ही भारत-कनाडा संबंध तनावपूर्ण हैं। अब पन्नू और पम्मा की सार्वजनिक हाजिरी ने सिख युवाओं और डाइसपोरा में नई ऊर्जा और विचार की लहर  पैदा कर दी है।G7 सम्मेलन जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर खालिस्तानी चेहरों की उपस्थिति एक ओर सिख समर्थकों के लिए उत्साह तो दूसरी ओर भारत के लिए नए सिरदर्द के रूप में सामने आई है। वैंकूवर में पम्मा और पन्नू की मुलाकात सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं बल्कि भारत की कूटनीतिक सीमाओं और पश्चिमी देशों की  राजनीतिक दोहरी सोच  को बेनकाब करने वाली स्थिति है। G7 के साये में खालिस्तानी गतिविधियों की मौजूदगी ने भारत के लिए नई अंतरराष्ट्रीय चुनौती  खड़ी कर दी है।
 
 


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Content Writer

Tanuja

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