पाकिस्तान ही है खालिस्तान का बाप, ISI की कनाडा से मिलीभगत बेनकाब ! देखें ये वीडियो
punjabkesari.in Tuesday, Sep 26, 2023 - 06:07 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः कनाडा में भारत के खिलाफ चल रहे खालिस्तानी डर्टी गेम के पीछे पाकिस्तान के कनैक्शन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ। दरअसल खालिस्तान और पाकिस्तान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आंतकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बहाने खालिस्तानियों से हमदर्दी दिखाई तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की नापाक साजिशें भी खुलकर सामने आने लगी हैं। अगर सामान्य शब्दों में कहा जाए तो पाकिस्तान ही खालिस्तान का जन्मदाता है और कनाडा से मिलीभगत करके ISI अपने भारत विरोधी साजिशों को अंजाम दे रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर REACH 🇮🇳 (UK) Chapter अकाउंट से खालिस्तान और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के गठजोड़ का एक वीडियो पोस्ट किया गया है । इसमें एक वाहन पर खालिस्तान का झंडा लहरा रहा हैं और उसी गाड़ी में बैठा एक बच्चा पाकिस्तान का झंडा लहरा कर बहुत खुश हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI कनाडा में खालिस्तान गतिविधियों को तेज करने के लिए फंडिंग कर रही है।
Khalistan and Pakistan are the 2 sides of one coin. Need more proof? @HCI_London @NIA_India #Canada pic.twitter.com/IS66Yb33cX
— REACH 🇮🇳 (UK) Chapter (@reachind_uk) September 25, 2023
पिछले कुछ महीनों में कनाडा में रह रहे खालिस्तानियों के आकाओं को बड़ी संख्या में फंडिंग मिली है। ISI खालिस्तानी तत्वों को भारत के खिलाफ मदद मुहैया करा रही है। पिछले दिनों जिस खालिस्तानी गैंगस्टर सुक्खा की हत्या हुई थी वो अर्श डाला का दाहिना हाथ है। जानकारी के मुताबिक अर्श डाला का संबंध निज्जर से था। अर्शदीप के तार ISI से भी जु़ड़े हैं और वो ISI के साथ मिलकर बड़े पैमाने पर भारत में वारदात को अंजाम देना चाहता था। कनाडा ने जिन खालिस्तानी तत्वों को बचाने के लिए डिप्लोमैटिक तूफान खड़ा किया वहां उनका ही कंट्रोल है। मारा गया हरदीप सिंह निज्जर हो या उसके जैसे अन्य प्रो-खालिस्तानी तत्व, सब मिलकर कनाडा में एक तरह से 'फौज' खड़ी कर रहे थे।
इस 'प्रो-खालिस्तानी ब्रिगेड' का मेन काम है पंजाब के युवाओं को बरगलाना, उन्हें भड़काना। खालिस्तानी उन्हें छोटी-मोटी नौकरी का लालच देकर बुलाते हैं, अपने नियंत्रण वाले गुरुद्वारों में काम देते हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इन युवाओं का वीजा वगैरह खालिस्तानी आतंकी ही तैयार करवाते हैं। एक बार कनाडा पहुंचने पर गुरुद्वारों के संसाधनों की मदद से अवैध शरणार्थियों और भारतीय स्टूडेंट्स को 'पालते' हैं। 'अहसान तले दबे' इन युवाओं को प्लंबर, ट्रक ड्राइवर का काम मिलता है। नहीं तो सेवादार, पाठी या रागी बनकर गुरुद्वारों में रहते हैं।
उन्हें अहसास भी नहीं होता कि वे अलगाववादी आंदोलन में फंस चुके हैं। फिर इसी भीड़ का इस्तेमाल भारत-विरोधी प्रदर्शनों और चरमपंथ से भरे जुलूसों में होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में करीब 250 गुरुद्वारे हैं लेकिन इनमें से सिर्फ आठ ही ऐसे हैं जिन पर खालिस्तानी संगठनें का नियंत्रण है। इंटेलीजेंस सूत्रों की तरफ से कहा जा रहा है कि देश में बसे सिख खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते हैं। वहीं यह बात भी सच है कि कनाडा वह देश है जहां पर पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का अच्छा-खासा प्रभाव है। ऐसे में निज्जर की हत्या को गैंगवॉर का नतीजा भी मान जा रहा है।