सबरीमला विवाद में स्मृति ईरानी बोलीं, पूजा करने का अधिकार है लेकिन अपवित्र करने का नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Oct 23, 2018 - 05:24 PM (IST)

मुंबई: केरल में सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को कहा कि पूजा करने के अधिकार का यह मतलब नहीं है कि आपको अपवित्र करने का भी अधिकार प्राप्त है। उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 28 सितंबर को मंदिर में माहवारी आयु वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। शीर्ष न्यायालय के खिलाफ प्रदर्शनों के चलते महिलाओं को सबरीमला मंदिर में जाने से रोक दिया गया।   
        PunjabKesari

ईरानी ने कहा, "मैं उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ बोलने वाली कोई नहीं हूं, क्योंकि मैं एक कैबिनेट मंत्री हूं। लेकिन यह साधारण-सी बात है क्या आप माहवारी के खून से सना नैपकिन लेकर चलेंगे और किसी दोस्त के घर में जाएंगे। आप ऐसा नहीं करेंगे।" उन्होंने कहा, "क्या आपको लगता है कि भगवान के घर ऐसे जाना सम्मानजनक है? यही फर्क है। मुझे पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का अधिकार नहीं है। यही फर्क है और हमें इसे पहचानने तथा सम्मान करने की जरूरत है।" स्मृति यहां ब्रिटिश हाई कमीशन और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित यंग थिंकर्स कान्फ्रेंस में बोल रही थीं।   

PunjabKesari

उन्होंने कहा, "मैं हिंदू धर्म को मानती हूं और मैंने एक पारसी व्यक्ति से शादी की। मैंने यह सुनिश्चित किया कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म को मानें, जो आतिश बेहराम जा सकते हैं।" आतिश बेहराम पारसियों का प्रार्थना स्थल होता है। ईरानी ने याद किया जब उनके बच्चे आतिश बेहराम के अंदर जाते थे तो उन्हें सड़क पर या कार में बैठना पड़ता था। उन्होंने कहा, "जब मैं अपने नवजात बेटे को आतिश बेहराम लेकर गई तो मैंने उसे मंदिर के द्वार पर अपने पति को सौंप दिया और बाहर इंतजार किया, क्योंकि मुझे दूर रहने और वहां खड़े ना रहने के लिए कहा गया।"     


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anil dev

Recommended News

Related News