29 वर्ष बाद घाटी लौटा कश्मीरी पंडित, जोरदार स्वागत से भावुक हो बोला-कश्मीर जैसी कोई जगह नहीं

punjabkesari.in Thursday, May 02, 2019 - 03:31 PM (IST)

श्रीनगर: श्रीनगर के पुराने इलाके में एक कश्मीरी पंडित ने 29 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद दोबारा अपनी दुकान खोलकर जम्मू-कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी को नया बल प्रदान किया है। रोशन लाल मावा की दुकान पर वर्ष 1990 के अक्टूबर में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला कर दिया था जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हमले के बाद श्री मावा कश्मीर घाटी से पलायन कर जम्मू में आ गए थे। इसके बाद श्री मावा ने दिल्ली में आकर मसालों का कारोबार करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी दुकान का नाम ‘नंदलाल महाराज कृष्णन' ही रखा था।

इसी बीच, श्री मावा के पुराने मित्रों समेत सैकड़ों स्थानीय लोगों ने नई दुकान पर जाकर उनका स्वागत किया। अब 74 वर्ष के हो चुके श्री मावा ने कहा कि उनके दिल की इच्छा थी कि वह अपने पूर्वजों की धरती पर दोबारा लौटें। श्री मावा ने कहा, ‘‘ दिल्ली में अच्छे कारोबार के बावजूद, मैं हमेशा से कश्मीर में वापस आकर बसना चाहता था।'' उन्होंने बताया, ‘‘ 13 अक्टूबर 1990 को एक व्यक्ति मेरी दुकान में आया और गोलियां चलाईं। मुझे चार गोलियां लगीं, तीन गोलियां पेट में लगी जबकि एक कंधे पर लगी। ईश्वर की कृपा से मैं बच गया।'' उन्होंने कहा,‘‘ मैंने अपनी दुकान दोबारा खोली है, बड़ी संख्या में लोगों ने आकर अपना समर्थन जताया। लोगों का समर्थन मिलने से बहुत खुशी है।''

विस्थापितों से लौटने की अपील
मावा ने कश्मीर से पलायन कर चुके कश्मीरी विस्थापितों से अपील की कि वे अपने प्रदेश में वापस लौट आएं। उसने कहा कि मेरे तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी। तीनों सेटल हैं। मेरा बेटा संदीप एनजीओ चलाता है। उसका भी सपना है कि पंडित घाटी अपने घरों में वापस लौटें और हमने इसकी शुरूआत अपने घर से की है। हम खुद लौटे हैं ताकि बाकियों को भी ऐसा करने की प्रेरणा दे सकें।


कश्मीर में अब कोई डर नहीं
एक दुकानदार ने कहा, हमे खुशी है कि हमारा भाई मावा वापस लौटा है। वह बिजनेस शुरू करना चाहता है। हम उसका साथ देंगे। कश्मीर में अब कोई डर नहीं है। वहीं संदीप ने बताया कि 2016 में भी उन्होंने कुछ परिवारों को वापस लाने की कोशिश की थी पर उस दौरान बुरहान की मौत से घाटी में काफी तनाव था और वो संभव नहीं हो पाया, पर अब कश्मीर शांत है और यहां कोई डर नहीं है।
 
 


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shukdev

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