वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, केंद्र सरकार को नोटिस जारी
punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 04:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस अधिनियम के खिलाफ कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने याचिकाएं दाखिल की हैं, जिनमें कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, वाईएसआरसीपी और अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे संगठन शामिल हैं। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की पीठ ने की।
कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तीखी बहस
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि "वक्फ बाय यूजर का पंजीकरण कैसे होगा? कौन तय करेगा कि संपत्ति को वक्फ घोषित किया गया है?" उन्होंने आगे कहा कि "वक्फ कानून का अतीत में दुरुपयोग हुआ है, लेकिन वक्फ बाय यूजर को पूरी तरह रोकना भी सही नहीं लगता। ब्रिटिश काल में प्रिवी काउंसिल ने भी इसकी मान्यता दी थी।" इस पर सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने सरकार की ओर से जवाब दिया: नया कानून मुसलमानों को स्वयं का ट्रस्ट बनाने की छूट देता है। वक्फ संपत्ति सौंपना अब अनिवार्य नहीं है।
सेंट्रल वक्फ काउंसिल एक सलाहकार संस्था है, इसमें पहले से केंद्र द्वारा नामित लोग शामिल होते हैं। परिषद में दो पूर्व न्यायाधीश, शिया और अन्य वर्गों के मुस्लिम, और दो मुस्लिम महिलाएं भी शामिल होंगी। कुल 22 सदस्यों में से अधिकतम 2 सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं। जब SG ने कहा, "इस हिसाब से तो आप भी इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते," तो CJI ने स्पष्ट कहा,"ऐसी तुलना मत कीजिए। हम न्यायाधीश इस प्रकार की बातों से ऊपर उठकर फैसले करते हैं।"
केंद्र सरकार को नोटिस और जवाब की समयसीमा
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों में लिखित जवाब (हलफनामा) दाखिल करने का आदेश दिया है। SG ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि "हम दो हफ्ते में जवाब दाखिल कर देंगे।"
कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह वक्फ कानून संविधान के खिलाफ है। ये आर्टिकल 25 और 26 का उल्लंघन करता है। वक्फ कानून 20 करोड़ लोगों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि यह कानून धार्मिक मामलों में दखल देता है। साथ ही यह बुनियादी जरूरतों का अतिक्रमण करता है। सुनवाई के दौरान कई वरिष्ठ वकील अदालत में मौजूद रहे, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
कपिल सिब्बल की दलीलें क्या हैं?
1. उत्तराधिकार और इस्लामी कानून
सिब्बल ने कहा कि इस्लाम में संपत्ति का अधिकार उत्तराधिकार के आधार पर मृत्यु के बाद मिलता है। ऐसे में सरकार को वक्फ कानून के तहत हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
2. सरकारी संपत्ति को वक्फ नहीं माना जा सकता
उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम की धारा 3(सी) के अनुसार अगर कोई सरकारी जमीन वक्फ के रूप में घोषित की गई हो, तो वह कानून लागू होने के बाद वक्फ नहीं मानी जाएगी।
3. महिलाओं को वंचित करना गलत
सिब्बल ने धारा 3(ए)(2) पर सवाल उठाया, जो वक्फ-अल-औलाद के तहत महिलाओं को विरासत से बाहर कर सकती है। उन्होंने पूछा, "राज्य कौन होता है यह तय करने वाला?"
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
1. संविधान की दृष्टि से धर्मनिरपेक्षता
सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 26 सभी धर्मों को स्वतंत्रता देता है। हिंदू समुदाय के लिए भी सरकार ने कानून बनाए हैं, जैसे कि मंदिरों का प्रशासन।
2. संपत्ति धर्मनिरपेक्ष हो सकती है
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि संपत्तियां धर्म से जुड़ी न होकर धर्मनिरपेक्ष हो सकती हैं। उनका प्रशासन जरूरी है, लेकिन उसे धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं कहा जा सकता।
3. अनुसूचित जनजातियों पर उदाहरण
सीजेआई ने सवाल किया कि क्या कोई कानून ऐसा नहीं है जिसमें अनुसूचित जनजातियों की संपत्ति बिना अनुमति के हस्तांतरित नहीं की जा सकती? इस पर सिब्बल ने कहा कि उनके पास एक चार्ट है जिसमें यह दिखाया गया है कि सभी मुसलमानों को अनुसूचित जनजाति माना गया है।
'यह सीधे संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन है'
सिब्बल ने कहा कि 1995 के वक्फ कानून के तहत सभी सदस्य मुसलमान होते थे। लेकिन नए संशोधित कानून में ऐसा नहीं है। धारा 9 के अनुसार 22 सदस्यों में से सिर्फ 10 मुस्लिम होंगे।सीजेआई ने पलटकर कहा कि दूसरे प्रावधानों को भी देखिए। यह जरूरी नहीं कि सभी गैर-मुस्लिम हों। सिब्बल ने कहा कि यह सीधे संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन है। सीजेआई ने कहा कि अगर कोई स्मारक पुरातात्विक रूप से संरक्षित घोषित किया गया है, तो वह वक्फ नहीं हो सकता, लेकिन अगर पहले से वक्फ घोषित है, तो वह वक्फ ही रहेगा।
कुल कितनी याचिकाएं दायर की गई हैं?
गौरतलब है कि एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, आप पार्टी के अमानतुल्ला खान, धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी, राजद नेता मनोज झा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-ए-उलमा-ए-हिंद सहित कई मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में करीब दो दर्जन (24) याचिकाएं दाखिल की हैं। कुल मिलाकर वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने के लिए 70 से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में लगाई गई हैं।