Exclusive Interview: संसद का कानून, देश का कानून, सबको मानना जरूरी-विजेंद्र गुप्ता

punjabkesari.in Saturday, Apr 26, 2025 - 01:59 PM (IST)

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता से पंजाब केसरी / नवोदय टाइम्स के लिए अकु श्रीवास्तव ने की खास बातचीत। पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...

 

प्रश्न: दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नई जिम्मेदारी है, कैसा लग रहा है? 
उत्तर: मेरे लिए यह नया अनुभव है। हालांकि मैं पिछले 30 वर्ष से चुने हुए प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहा हूं। मेरा अधिकतर समय विपक्ष के नेता के रूप मेें रहा। इस बार 27 साल बाद दिल्ली में भाजपा की सरकार आई है। स्पीकर की भूमिका मेरी नई है, लेकिन मैं इससे अनभिज्ञ नहीं हूं। लगातार विधायक रहने के कारण नियम-कानून को बहुत नजदीक से देखा है। रूल बुक मेरा प्रिय विषय है। रूल बुक व एक्ट को पढ़ने व समझने का मेरा स्वभाव भी है। मैं समझता हूं रूल बुक पढ़ने का जो मेरा अनुभव था वह सही समय पर काम आया।

प्रश्न: विपक्ष में रहने के दौरान कई बार विधानसभा से आपको मार्शलों द्वारा बाहर किया गया। अब स्थिति उलट है, कैसा लग रहा है? सत्र संचालन की क्या योजना है? 
उत्तर: विपक्ष के नेता के रूप में मेरे अनुभव बहुत बुरे हैं। कम संख्या होने के कारण भाजपा विधायकों के साथ इस तरह का व्यवहार होता था। जिन्हेें प्रचंड बहुमत मिला था, उनमें राजनीतिक अनुभव की भारी कमी थी और उनमें अहम भी आ गया था। 5 साल में चार विधानसभा के सत्र हुए, यह भी अपने आप में एक रिकाॅर्ड है। जबकि 40-50 दिन के कार्यकाल में हम दो सत्र कर चुके हैं। हर साल अब तीन सत्र होंगे, यह भी हमने तय कर दिया है।

जैसे कि बजट सत्र, मानसून सत्र व विंटर सत्र होगा, इसके अलावा जरूरत पड़ी तो विशेष सत्र भी बुलाएंगे। आप सरकार में सदन की पवित्रता के साथ खिलवाड़ किया गया। ऐसा अब नहीं होगा। इसको लेकर मैं संकल्पबद्ध हूं। यह लोकतंत्र का मंदिर है।

प्रश्न: अब आम आदमी पार्टी के विधायक भी अनुभव वाले हो गए हैं। सदन की पवित्रता को लेकर क्या उम्मीद करते हैं? 
उत्तर: अब तक जो भी सत्र हुए हैं, एक भी दिन विपक्ष के हंगामे के कारण सदन को स्थगित नहीं किया गया। हमने विपक्ष को भी कहा कि चर्चा में आप भाग लीजिए, पूरा समय आपको मिलेगा। लेकिन, स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए। क्योंकि दिल्ली की दो करोड़ जनता नेे बड़ी उम्मीद से इस सदन को चुना है। यह सदन किसका है। यह दिल्ली की जनता की उम्मीद व आकांक्षाओं का सदन है।

यहां जनता की समस्याओं पर विचार-विमर्श करना चाहिए। उम्मीद के अनुसार यह सदन खरा उतरे। दिल्ली के लोगों ने सदन को चुना है और दिल्ली के लोगों के बारे में बात न हो, यह तो ठीक नहीं है। उनकी समस्याओं का सामाधान न हो, यह तो चीटिंग होगी। यही दस साल यहां होता रहा है। सदन को कोई राजनीति का अखाड़ा बनाएगा और दुरुपयोग करेगा तो उसकी अनुमति नहीं मिलेगी। 

उन्होंने बिजली कटौती की बात की तो हमने उनकी बात सुनी और मंत्री से जवाब दिलवाया। मजे की बात है जब इस पर चर्चा होनी थी तो समूचा विपक्ष भाग गया। क्योंकि विपक्ष को लगता था कि मंत्री ने इस पर जवाब दे दिया तो हमारा मुद्दा मर जाएगा। सार्थक चर्चा में विपक्ष की रुचि नहीं है। जबकि उनको सदन की गरिमा को समझते हुए हंगामा नहीं करना चाहिए।

प्रश्न:जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी आम आदमी पार्टी को घेरती है, क्या सीएजी रिपोटर्स में भी उसी तरह के मामले हैं? 
उत्तर:सीएजी की रिपोर्ट्स में जो कुछ है, वह चौंका देने वाला है। आबकारी मामले की बात करते हैं तो उसमें सब कुछ साफ दिखाई दे रहा है। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में सीएजी रिपोर्ट व पीएसी के प्रतिवेदन से इन भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में तमाम जांच एजेंसी को लाभ मिलने वाला है। क्योंकि सीएजी ने जो फाइडिंग दी है और जिस तरह से उनको दबाया गया, यह सीबीआई या ईडी के काम आएगा।

प्रश्न: कैग रिपोर्ट्स की संख्या काफी है, लेकिन सभी रिपोर्ट्स सदन में प्रस्तुत नहीं की गई हैं। बाकी की कैग रिपोर्ट कब तक पेश कर दी जाएंगी? 
उत्तर:14 कैग रिपोर्ट हैं, 8 पेश हो चुकी हैं। आने वाले सत्र में बाकी रिपोर्ट को पेश किया जाएगा। सीएजी की रिपोर्ट पर पब्लिक एकाउंट कमेटी को क्रॉस चेक करना होता है तथा एक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है। उस पर कार्रवाई की बात की जाती है। रिपोर्ट में बताया जाता है कि किस कारण भ्रष्टाचार हुआ। सीएजी सरकार की सबसे बड़ी दोस्त है। सीएजी रिपोर्ट की गहराई में आप जाएंगे तो पता चलेगा कि वह सरकार को चेताती है कि आपकी इस चीज में कमी है, जिसपर सरकार कार्रवाई कर ठीक करती है।

लेकिन सीएजी रिपोर्ट को पेश न करना और उसे ठंडे बस्ते में डाल देना तो फिर सीएजी की फाइंडिग का क्या मतलब हुआ। अब अगर हम 14 रिपोर्ट एक साथ ले आएंगे तो मामला इतना बड़ा हो जाएगा क्योंकि यह तो बैकलाॅग है, रिपोर्ट तो हर साल आती है। इसलिए हम धीरे-धीरे रिपोर्ट ला रहे हैं अब जुलाई में सिर्फ रिपोर्ट नहीं आएगी बल्कि पीएसी का प्रतिवेदन भी उसमें आएगा। पहली रिपोर्ट का और उसी तरह दूसरी रिपोर्ट का भी प्रतिवेदन आएगा। हर सीएजी रिपोर्ट को मैं उसके अंजाम तक पहुंचाकर रहूंगा तथा जो संवैधानिक व्यवस्था है उसे पूरा करूंगा। इसके लिए मैं पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं और यह मेरा दिल्ली की जनता से वादा है। 

प्रश्न: संविधान को लेकर इस समय देश में बड़ी बहस चल रही है। जो विधानसभा या संसद ने पास कर दिया वही कानून होना चाहिए और उसमें बहुत ज्यादा हस्तक्षेप की संभावना नहीं है। इस पर आपका क्या कहना है? 
उत्तर: देश की सर्वोच्च संस्था संसद है। कानून बनाना संसद की जिम्मेदारी है। यह देश  कानून और डेमोक्रेसी से चलता है। संसद ने कोई कानून बनाया है तो उसमें कोई दोराय नहीं है कि वह देश का कानून है और उसको सबको मानना है। जो काूनन को नहीं मानेगा, उसके लिए भी सजा का प्रावधान है।

कानून की रक्षा व पालन करना हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। इस कारण डेमोक्रेसी सिस्टम को मजबूत बनाने की जरूरत है। जब कानून बनता है तो चर्चा होनी चाहिए। चर्चा होती है तो पक्ष व विपक्ष दोनों सामने आते हैं और फिर सुधार होता है। अभी हमने संकल्प लिया है कि विधानसभा को पेपरलेस करेंगे। उसके लिए हमने त्वरित कार्रवाई की है और सौ दिन का टारगेट रखा है। हर स्तर पर तेजी से काम किया जा रहा है और हम अपने टारगेट की ओर तेजी  से बढ़ रहे हैं। जुलाई में जब मानसून सत्र होगा तो दिल्ली विधानसभा पेपरलेस हो चुकी होगी।

यह काम पिछली सरकार भी कर सकती थी, लेकिन जानबूझकर उन्होंने दस साल तक इस काम को होने नहीं दिया। क्योंकि इसमें केंद्र सरकार का पूरा सहयोग मिल रहा है। वन नेशन वन इलेक्शन का सपना जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा है उसका देश के अधिकांश विधानसभा को लाभ मिल रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए वित्तीय सहायता भी दी है।

आम आदमी पार्टी से सवाल
दिल्ली विधानसभा को पेपरलेस करने का महत्वपूर्ण काम जो 100 दिन में हो सकता था, उसे दस साल तक चली आम आदमी पार्टी की सरकार ने क्यों नहीं किया। यह मेरा सवाल है। मेरा सवाल आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से भी है कि जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार वही काम करके दिखा रही है तो आखिर उन्होंने इस काम को क्यों नहीं होने दिया। क्या केवल इसलिए इस काम को रोका गया, क्योंकि यह भारत सरकार द्वारा सहायता प्राप्त काम था। क्या इस काम को इसलिए नहीं होने दिया क्योंकि इसे पूरा करना देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है।

विरासत और विकास, दोनों को साथ लेकर चल रहे

प्रश्न: आप हैरिटेज संरक्षण को लेकर गंभीर रहे हैं। इस दिशा में क्या हो रहा है तथा क्या योजना है?

उत्तर: यह एक महत्वाकांक्षी योजना है। जबसे भाजपा सरकार दिल्ली में आई है, हम विरासत व विकास दोनों को साथ लेकर चल रहे हैं। जब हमने हिन्दू नववर्ष का कार्यक्रम विधानसभा परिसर में रखा, लोगों ने कहा कि न्यू ईयर होता है तो हमने कहा कि हिन्दू नववर्ष पर आपत्ति क्या है। यही हमारी संस्कृति व यही हमारी धरोहर है। हमने सोलर एनर्जी लगाने का भी संकल्प लिया है। उसे भी हम सौ दिन में पूरा करेंगे।

अगर हम विरासत की बात करते हैं, मुझे नहीं लगता कि उसमें किसी को कोई आपत्ति होनी चाहिए। यही तो हमारी जड़ें हैं। दिल्ली की विधानसभा का भवन देश की पहली संसद के लिए बनाया गया था। हमें गर्व है कि देश की पहली संसद जहां लगी थी, वहां दिल्ली की विधानसभा लगती है। इसलिए हम नेशनल हेरिटेज पर बड़ी तेजी से काम कर रहे हैं। परिणाम यह आ रहा है कि रोजाना हमें नए तथ्य मिल रहे हैं।

हम इसके लिए इंदिरा गांधी नेशनल सेेंटर ऑफ आर्ट्स की मदद ले रहे हैं। साथ ही हम इंटेक व एमसीडी के हैरिटेज सेल की मदद भी ले रहे हैं। हमने लोकसभा स्पीकर से भेंट की है। उन्होंने हमें पूरा सपोर्ट दिया है। हम एक म्यूजियम बनाना चाहते हैं। लाइट एंड साउंड शो करना चाहते हैं ताकि लोगों को अपनी विरासत का पता चले।


लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दिल्ली विधानसभा के पुस्तकालय को डिजिटल बनाने और ई-लाइब्रेरी के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए। दिल्ली विधानसभा के संस्थागत ढांचे को मजबूत करने, इसके बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और इसके कार्यों में डिजिटलाइजेशन व पारदर्शिता को बढ़ावा देने के प्रयासों पर केंद्रित थी यह बैठक।

दिल्ली विधानसभा सचिवालय के सभी अभिलेख और कार्यवाही, इसकी स्थापना से लेकर अब तक, दिल्ली नगर निगम के ऐतिहासिक टाउन हॉल में व्यवस्थित रूप से संरक्षित हैं। इस अभिलेखीय कार्य के महत्व को समझते हुए लोकसभा स्पीकर ने अभिलेखों को डिजिटलीकरण परियोजना में शामिल करने के निर्देश दिए।

 


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Content Editor

Jyotsna Rawat

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