हाईकोर्ट के समाने धरने पर बैठ जज साहब, ये फिल्मी नहीं हकीकत की घटना

punjabkesari.in Tuesday, Aug 01, 2017 - 06:44 PM (IST)

जबलपुरः आपने फिल्म जॉली एलएलएल पार्ट टू तो जरूर देखी होगी। जिसमें एक सुनवाई के दौरान जज और वकील में तकरार हो जाती है। मामला इतना गर्मा जाता है कि जज साहब भी धरने पर बैठ जाते हैं। खैर ये तो फिल्मी दास्ता थी। इसलिए किसी को इतना आश्चर्य नहीं हुआ। लेकिन हम आपको सत्य घटना की जानकारी देंगे। जिसमें हाईकोर्ट के सामने जज साहब धरने पर बैठ जाते हैं। मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित हाईकोर्ट का ये घटनाक्रम देशभर में चर्चा का विषय बना गया है। 


हाईकोर्ट के विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी और अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश आरके श्रीवास मंगलवार सुबह मप्र हाईकोर्ट की इमारत के गेट नंबर तीन के सामने धरने पर बैठ गए। पहले वे परिसर के अंदर सत्याग्रह पर बैठना चाहते थे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। मप्र हाईकोर्ट के 61 साल के इतिहास में यह पहला मामला जब किसी एडीजे ने सत्याग्रह किया है।
 

जज श्रीवास ने 15 महीने में 4 बार तबादल किए जाने के विरोध में सत्याग्रह किया। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश और रजिस्ट्रार जनरल को अपने साथ हुए अन्याय से अवगत कराने के बावजूद हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से अब तक कोई भी सकारात्मक रिस्पांस सामने नहीं आया। उनका कहना है कि हर 3 महीने में ट्रांसफर से परिवार परेशान हो गया है।
 

इस बार जैसे-तैसे जबलपुर के क्राइस्ट चर्च स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाया था। एक को पढ़ाई के लिए नीमच में छोड़ना पड़ा, क्योंकि वहां से भी तबादला कर दिया गया था। एडीजे के पक्ष में बार के वकील भी साथ आने लगे हैं। कड़ी धूप में बैठकर धरना दे रहे जज के लिए वकीलों ने छाते मंगवाए। जज का कहना है कि न्याय नहीं मिला तो वे धरने के बाद अनशन करेंगे।

 तो इसलिए चुना संघर्ष का रास्ता

महज 15 माह में चौथा तबादला हाईकोर्ट की ट्रांसफर पॉलिसी के सर्वथा विपरीत है। इससे यह साफ होता है कि एकरूपता को पूरी तरह दरकिनार करके मनमाने तरीके से भाई-भतीजावाद के आधार पर तबादले किए जा रहे हैं। इसलिए बजाए झुकने के संघर्ष का रास्ता चुना गया। मुझे अब तक नीमच में ज्वाइन कर लेना था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। इसके स्थान पर नौकरी को दांव पर लगाकर सत्याग्रह की राह पकड़ ली है। यदि मुझे गिरफ्तार करने के निर्देश दिए गए तो जेल जाने तक तैयार हूं। लेकिन अन्याय किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करूंगा।


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