जयललिता की आज पहली बरसी: 74 दिन लड़ीं मौत से, 68 साल की उम्र में निधन

punjabkesari.in Tuesday, Dec 05, 2017 - 10:38 AM (IST)

नेशनल डैस्कः अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की प्रमुख एवं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता (अम्मा) की आज पहली बरसी है। 5 दिसंबर 2016 को जब उनके निधन की खबर टीवी न्यूज चैनलों पर चली तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि अब अम्मा उनके बीच नहीं रही है। चेन्नई के अपोलो अस्पताल जयललिता ने अंतिम सांस ली।

74 दिन लड़ीं मौत से
68 वर्षीय जयललिता को बुखार और शरीर में पानी की कमी के कारण 22 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो महीने के सघन उपचार के दौरान लंदन, सिंगापुर और एम्स के चकित्सकों ने उनके फेफड़े के संक्रमण का इलाज किया था। वे तब से अस्पताल में ही थी। 74 दिन अम्मा मौत से लड़ती रही लेकिन 5 दिसंबर को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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रैली के जरिए एआईडीएमके अम्मा को देगी श्रद्धांजलि
एआईडीएमके आज विशाल रैली निकाल कर अम्मा को श्रद्धांजलि देगी। इसके चलते चेन्नई में सुरक्षा के तगड़े बंदोबस्त किए गए हैं। करीब 8 जिलों से करीब 4000 अतिरिक्त पुलिस बल चेन्नई में तैनात किया गया है। यही नहीं पूरा शहर जयललिता के होर्डिंग्स, बैनर और कटआउट से पटा पड़ा है।

470 लोगों ने दी जान
अम्मा की बीमारी और फिर देहांत की खबर सुनकर दुख और सदमे के चलते दिसंबर 2016 में 470 लोगों ने अपनी जान दे दी थी।

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34 साल की उम्र में रखा राजनीति में कदम
जयललिता 24 फरवरी 1948 को मैसूर के मांडया जिले के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थी। महज दो साल की उम्र में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। पिता की मृत्यु के बाद से ही उनकी जिंदगी में संघर्ष का दौर शुरू हो गया। उनकी मां वेदवल्ली ने संध्या नाम से तमिल फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। जयललिता वकालत करना चाहती थी लेकिन उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर किया। जयललिता 1982 में एआईएडीएमके की सदस्य बनकर राजनीति में आईं। 1983 में उन्हें पार्टी के प्रचार विभाग का सचिव बनाया गया। 1984 में एमजीआर ने उन्हें राज्य सभा का सांसद बनाया। हालांकि कुछ समय बाद ही एमजीआर से उनके मतभेद शुरू हो गए। जब 1987 में एमजीआर का देहांत हुआ तो पार्टी में विरासत की जंग छिड़ गई। पार्टी का एक धड़ा एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन के साथ था तो दूसरा धड़ा जयललिता के साथ। इसके बाद से जयललिता तमिलनाडु की राजनीति के केंद्र में रही। 2016 में दूसरी बार विधानसभा का चुनाव जीतनी वाली वो एमजीआर के बाद दूसरी नेता बनी।


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