Vaishno Devi हादसे के बाद चेतावनी: भूस्खलन भी बन सकता है अगली सुनामी का कारण
punjabkesari.in Wednesday, Aug 27, 2025 - 01:59 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हिमालयी क्षेत्रों में मानसून की मार का असर एक बार फिर भयावह रूप में सामने आया है। जम्मू-कश्मीर के अर्धकुंवारी क्षेत्र में माता वैष्णो देवी के पवित्र यात्रा मार्ग पर भूस्खलन की भयावह घटना ने श्रद्धालुओं को झकझोर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस त्रासदी में अब तक 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई अन्य मलबे में फंसे हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं।
श्राइन बोर्ड ने दी चेतावनी, यात्रा रोकी गई
श्राइन बोर्ड की ओर से यात्रियों को फिलहाल मौसम साफ होने तक यात्रा स्थगित करने की सलाह दी गई है। लगातार हो रही भारी बारिश से न सिर्फ वैष्णो देवी यात्रा प्रभावित हुई है, बल्कि उत्तर भारत के अन्य पर्वतीय इलाकों में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
लेकिन इस भूस्खलन के बहाने एक सवाल बार-बार उठता है - क्या भूस्खलन जैसी घटनाएं सुनामी जैसी समुद्री आपदा का कारण बन सकती हैं?
क्या भूस्खलन से आ सकती है सुनामी?
बहुत से लोग सुनामी को केवल भूकंप या समुद्री विस्फोटों से जोड़ते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि भूस्खलन भी सुनामी का कारण बन सकता है। अगर किसी झील, नदी या समुद्र में बड़ी मात्रा में चट्टानें या मिट्टी अचानक गिरती हैं, तो वो पानी को तेजी से विस्थापित करती हैं और विशाल लहरों को जन्म देती हैं। यह प्रक्रिया सुनामी जैसी स्थिति पैदा कर सकती है।
अतीत के उदाहरण: जब लैंडस्लाइड बना सुनामी का जनक
अलास्का, 1958 – इतिहास की सबसे ऊंची सुनामी लहर:
-7.9 तीव्रता के भूकंप के बाद एक बड़ा चट्टानी हिस्सा लिटुआ खाड़ी में गिर गया।
-इससे 524 मीटर तक ऊंची पानी की दीवार बनी – जिसे आज तक की सबसे ऊंची सुनामी लहर माना जाता है।
-30 मीटर ऊंची लहरों ने दो मछुआरों की नौकाएं डुबो दीं और जानें चली गईं।
कैनरी आइलैंड्स में शोध –
अफ्रीका के तट के पास स्थित इन द्वीपों में अतीत में कई बड़े ज्वालामुखीय लैंडस्लाइड हुए। वैज्ञानिक मानते हैं कि यदि यहां भविष्य में फिर कोई विशाल धंसाव हुआ, तो वह हजारों किलोमीटर दूर तक प्रभाव डाल सकता है - यहां तक कि अमेरिका के पूर्वी तट तक।
क्या भारत में भी है खतरा?
वैसे तो वैष्णो देवी जैसी पहाड़ी क्षेत्र की घटनाएं समुद्री सुनामी नहीं पैदा कर सकतीं, क्योंकि वहां समुद्र नहीं है, लेकिन यही प्रक्रिया हिमालय के ग्लेशियल झीलों या कोस्टल रेंज के पास हो तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। भारत के पूर्वोत्तर और अंडमान-निकोबार जैसे क्षेत्रों में इस तरह के खतरे संभावित हैं।