जलियांवाला कांड ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बाः थेरेसा मे

punjabkesari.in Wednesday, Apr 10, 2019 - 07:34 PM (IST)

लंदनः ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थरेसा मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड की 100वीं बरसी के मौके पर बुधवार को इस कांड को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर ‘शर्मसार करने वाला धब्बा’ करार दिया लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफी नहीं मांगी। हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री के साप्ताहिक प्रश्नोत्तर की शुरूआत में उन्होंने औपचारिक माफी तो नहीं मांगी जिसकी पिछली कुछ बहसों में संसद का एक वर्ग मांग करता आ रहा है। उन्होंने इस घटना पर ‘खेद’ जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बा है। जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है।’’ 

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सिद्धू ने केंद्र पर बोला हमला  
पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ब्रिटिश शासन के दौरान जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल को हुए नरसंहार के शताब्दी वर्ष के पहले इसके पुनरूद्धार के लिए जरूरी धनराशि जारी करने में ‘‘विफलता’’ के लिए बुधवार को भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर हमला बोला। पंजाब के पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से आग्रह किया कि वह केंद्र और ब्रिटिश सरकार को पत्र लिखकर जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को माफी मांगने को कहें।     

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इससे पहले इसी साल फरवरी में  ब्रिटिश सरकार ने कहा था कि वह इसके लिए माफी मांग सकती है। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई इस हत्याकांड के शताब्दी वर्ष के सिलसिले में हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद) में हुई बहस के दौरान एक मंत्री ने सदन से कहा कि ब्रिटिश सरकार औपचारिक माफी की मांग पर विचार कर रही है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स के निचले सदन में 'अमृतसर नरसंहार: शताब्दी' के नाम से चल रही चर्चा के दौरान ब्रिटिश मंत्री एनाबेल गोल्डी ने यह भी कहा था कि सरकार ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के 100 साल पूरे होने के मौके को यथोचित व सम्मानित तरीके से याद किए जाने की योजना बनाई है। सरकारी व्हिप एवं बैरोनेस-इन वेटिंग पद संभाल रहीं गोल्डी ने कहा, जहां तक हम जानते हैं कि तत्कालीन सरकार (हत्याकांड के समय की ब्रिटिश सरकार) ने लगातार इस नृशंसता की निंदा की थी, लेकिन इसके बाद किसी भी सरकार ने इसके लिए माफी नहीं मांगी।

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Tanuja

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