"क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर जोर", BRICS सम्मेलन में जयशंकर का महत्वपूर्ण भाषण
punjabkesari.in Thursday, Oct 24, 2024 - 04:30 PM (IST)
नेशनल डेस्क: कज़ान में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक प्रभावशाली भाषण दिया, जिसमें उन्होंने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया। यह सम्मेलन विश्व के प्रमुख देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मंच है, और जयशंकर ने यहां सुरक्षा, विकास और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का महत्व
अपने भाषण में डॉ. जयशंकर ने क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी राष्ट्र अपनी संप्रभुता का पालन करें और किसी भी प्रकार के बाहरी हस्तक्षेप से बचें। उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि जब क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो इससे वैश्विक सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यूएनएससी में सुधार की आवश्यकता
जयशंकर ने यूएन सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की आवश्यकता पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय से इस मुद्दे को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है। उन्होंने कहा, "हम एक अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था कैसे बना सकते हैं?" इसके लिए उन्होंने एक स्वतंत्र और प्रभावशाली प्लेटफ़ॉर्म को मजबूत करने की आवश्यकता बताई, जो विभिन्न वैश्विक मुद्दों को सही तरीके से संबोधित कर सके।
बहुपरक विकास बैंकों में सुधार
जयशंकर ने बहुपरक विकास बैंकों के सुधार की बात भी की, जिनकी प्रक्रियाएँ कई मामलों में पुरानी और अप्रभावी हो गई हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इन बैंकों को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार ढाला जाना चाहिए ताकि वे विकासशील देशों की जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकें।
जी-20 अध्यक्षता का उदाहरण
डॉ. जयशंकर ने भारत की जी-20 अध्यक्षता का उदाहरण देते हुए कहा कि इस दौरान भारत ने सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने उल्लेख किया कि ब्राज़ील ने भी इन प्रयासों को आगे बढ़ाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए एकजुटता आवश्यक है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण
उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इसके लिए अधिक उत्पादन केंद्र स्थापित करने और औपनिवेशिक युग से विरासत में मिली बुनियादी ढाँचे की विकृतियों को ठीक करने की बात की। उनका मानना है कि दुनिया को अधिक कनेक्टिविटी विकल्पों की जरूरत है, जो रसद को बढ़ाने और जोखिमों को कम करने में सहायक हों।
Represented PM @narendramodi at the BRICS Outreach session in Kazan today.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 24, 2024
As the old order changes while inequities of the past continues, BRICS is a statement in itself and can make real difference. In this context, highlighted 5 key points:
1️⃣ Strengthening and expanding… pic.twitter.com/t0HhxTvuPe
संघर्षों का समाधान
अपने संबोधन में, डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि आज की विशेष आवश्यकता है कि हम संघर्षों और तनावों को प्रभावी ढंग से संबोधित करें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है। जयशंकर ने बताया कि आज हम एक विरोधाभास का सामना कर रहे हैं, जहां कुछ पुराने मुद्दे और भी जटिल हो गए हैं, जबकि नई क्षमताएं उभर रही हैं।
बहु-ध्रुवीयता की दिशा में कदम
जयशंकर ने यह भी कहा कि उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले राष्ट्रों ने अपने विकास को गति दी है, और अब समय आ गया है कि हम बहु-ध्रुवीयता पर विचार करें। यह आवश्यक है कि हम वैश्विक न्याय व्यवस्था के नए प्रारूप की दिशा में कदम बढ़ाएं, जिसमें सभी देशों की स्वतंत्रता और विकास का ध्यान रखा जाए।