जयशंकर ने कहा-युद्धविराम के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दें, अमेरिका को नहीं क्योंकि...
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 06:51 PM (IST)

International Desk: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर आल्गमाइने साइटुंग को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया युद्धविराम (सीजफायर) के लिए धन्यवाद अमेरिकी सरकार को नहीं, बल्कि भारतीय सेना को देना चाहिए। डॉ. जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच सीधे संपर्क के बाद ही यह युद्धविराम हुआ। उन्होंने कहा, "युद्धविराम से एक दिन पहले भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मुख्य एयरबेस और एयर डिफेंस सिस्टम को बुरी तरह क्षतिग्रस्त किया था। तो युद्धविराम के लिए मैं किसे धन्यवाद दूं? मैं भारतीय सेना को धन्यवाद देता हूं क्योंकि उनकी कार्रवाई ने पाकिस्तान को कहना पड़ा कि वे लड़ाई बंद करने के लिए तैयार हैं।"
मई 10 को हुआ युद्धविराम
7 मई को भारत ने आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए थे, जिसका मकसद था अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का बदला लेना, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। इस ऑपरेशन को 'सिंदूर' नाम दिया गया था। पाकिस्तान ने इस कार्रवाई का जवाब देते हुए भारतीय सैन्य और नागरिक इलाकों पर ड्रोन हमले किए। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर निशाना साधा और भारी नुकसान पहुंचाया। तीन दिन की इस सीमा पार झड़प के बाद पाकिस्तान की सेना ने भारत से संपर्क किया और युद्धविराम पर सहमति बनी।
सीमित रही अमेरिका की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन और पाकिस्तान की तरफ से अमेरिका को इस युद्धविराम के लिए श्रेय दिया गया, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि अमेरिका की भूमिका केवल चिंता व्यक्त करने तक सीमित थी। डॉ. जयशंकर ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उप राष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने संपर्क किया था, लेकिन उनका रोल केवल बातचीत तक था। भारत ने साफ कर दिया था कि अगर पाकिस्तान लड़ाई बंद करना चाहता है, तो उसकी सेना के जनरल को सीधे भारतीय जनरल से बात करनी होगी। और यही हुआ।
युद्धविराम से पहले की स्थिति बनी बरकरार
डॉ. जयशंकर ने कहा, "हमने आतंकवादियों को स्पष्ट संदेश दिया कि इस तरह के हमलों का जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी शुरू की, हमने जवाबी कार्रवाई की और जब पाकिस्तान ने देखा कि वे नुकसान में हैं तो उन्होंने लड़ाई रोकने को कहा। यह स्थिति अब दो हफ्ते से बनी हुई है।" डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया कि भारत ने अपनी सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान को युद्धविराम पर मजबूर किया। अमेरिका का इसमें केवल कूटनीतिक दबाव था, असली श्रेय भारतीय सेना को जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस विवाद में परमाणु युद्ध का खतरा बहुत दूर था।
क्या निकट था परमाणु युद्ध?
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत-पाक के बीच परमाणु युद्ध होने वाला था, तो डॉ. जयशंकर ने हैरानी जताई। उन्होंने कहा, "यह सवाल मुझे आश्चर्यचकित करता है। हम आतंकवादी ठिकानों को निशाना बना रहे थे, बहुत सोच-समझ कर, बिना किसी वृद्धि किए हुए। पाकिस्तान ने गोलीबारी की, फिर हमनें उनके एयर डिफेंस सिस्टम को क्षतिग्रस्त किया और फिर युद्धविराम हुआ। कभी भी परमाणु स्तर तक नहीं पहुंचा।"उन्होंने कहा कि ऐसा एक गलत धारणा बनी हुई है कि हमारे क्षेत्र में होने वाली हर चीज़ सीधे परमाणु खतरे को बढ़ाती है। यह सोच आतंकवाद को बढ़ावा देती है।