ऑफ द रिकॉर्डः जगन चाहते हैं मोदी उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हों
punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 05:32 AM (IST)
नेशनल डेस्क: आंध्र प्रदेश विधानसभा और लोकसभा चुनावों में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को धूल चटाने वाले वाई.एस.आर. कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रैड्डी कल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। युवा नेता रैड्डी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी 30 मई को अमरावती में उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हों। इस तरह उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और नायडू को एक सशक्त संदेश भेजा है कि उन्होंने न केवल अकेले ही राज्य के लोगों के दिलों को जीता है बल्कि दिल्ली के साथ भी उनके सीधे संबंध हैं।
रैड्डी अब दक्षिण में भाजपा की योजनाओं के लिए प्रमुख खिलाड़ी की भूमिका में हो सकते हैं। यद्यपि रैड्डी का सार्वजनिक रूप से यह स्टैंड है कि वह केंद्र में उसी सरकार को समर्थन करेंगे जो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने भी अपने राज्य के लिए विशेष दर्जे की मांग की है। यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ कि क्या भाजपा ने 2018 में उस समय जदयू को बिहार के लिए किसी विशेष प्रोत्साहन का वायदा किया था जब वह राजग में शामिल हुई थी।
अब यह चर्चा है कि एन.के. सिंह के नेतृत्व में वित्त आयोग इन कुछ राज्यों की मांगों को पूरा करने के लिए सिफारिशें कर सकता है लेकिन रैड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है इसलिए कोई ऐसा रास्ता निकाला जाएगा कि अगर प्रधानमंत्री जगनमोहन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होते तो उनका कोई वरिष्ठ प्रतिनिधि समारोह में शामिल हो।
अगर मोदी रैड्डी को कोई सशक्त संदेश भेजना चाहते हैं तो वह शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भी हो सकते हैं लेकिन रैड्डी अभी तक ‘राजग’ का हिस्सा नहीं। अंतिम परिणाम तक इंतजार करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी, कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नीतीश कुमार के लिए काम करने वाले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पिछले 3 वर्षों में रैड्डी के लिए भी कड़ी मेहनत की है।
यह किशोर ही हैं जिन्होंने रैड्डी के साथ काम किया और उस समय उनके साथ थे जब परिणाम आने शुरू हुए। अब प्रशांत किशोर चाहते हैं कि रैड्डी राजग के साथ हाथ मिला लें। प्रशांत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बहुत करीबी हैं। सूत्रों का कहना है कि यह प्रशांत ही थे जिन्होंने नीतीश कुमार के दिल को बदला था और अंतत: उन्होंने लालू प्रसाद की दोस्ती को अलविदा कह दिया था।