विधानसभाओं, संसद में मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन कोई व्यवधान नहीं : ओम बिरला
punjabkesari.in Sunday, Jul 30, 2023 - 10:24 PM (IST)

गुवाहाटीः लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि हर गंभीर मुद्दे पर राज्य विधानसभाओं और संसद में चर्चा होनी चाहिए लेकिन कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए क्योंकि लोगों को ‘‘लोकतंत्र के इन मंदिरों'' से बहुत उम्मीदें हैं। बिरला की टिप्पणी मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में आई है।
लोकसभा अध्यक्ष यहां असम विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन करने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों के विधायकों, सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर सहमति और असहमति भारत के लोकतंत्र की विशेषता है। बिरला ने कहा, ‘‘लोकतंत्र के मंदिर में हर गंभीर मुद्दे पर बहस, चर्चा, संवाद और बातचीत होनी चाहिए। लेकिन राज्य विधानसभाओं और लोकसभा में कोई व्यवधान या गतिरोध नहीं होना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को राज्य विधानसभाओं और लोकसभा से बहुत सारी उम्मीदें हैं। लोग आपको बहुत उम्मीदों के साथ यहां भेजते हैं।'' बिरला ने कहा कि सदन में विधेयकों सहित हर मुद्दे पर गहन चर्चा और बहस लोगों के सर्वोत्तम हित में बेहतर परिणाम ला सकती है।
लोकसभा अध्यक्ष ने असम के नए विधानसभा भवन को ‘‘ऐतिहासिक" बताया और कहा कि यह राज्य विधानमंडल की ‘‘नई यात्रा'' का एक सशक्त माध्यम बनेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभाएं सिर्फ इमारतें नहीं हैं बल्कि विधायकों के लिए सामाजिक कल्याण के वास्ते काम करने और समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का एक पवित्र स्थान है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें लोगों की उम्मीदों और सपनों को पूरा करना होगा और नए रिकॉर्ड बनाने होंगे।'' बिरला ने कहा कि भारत ने अब तक जो प्रगति की है, वह उसके मजबूत और जीवंत लोकतंत्र के कारण है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आज कह सकते हैं कि भारत ने लोकतंत्र और जनसांख्यिकी दोनों ही दृष्टि से प्रगति की है।'' बिरला ने कहा कि नया भवन लोगों की आकांक्षाओं और कल्याण का प्रतीक है। उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने में असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई और राज्य के अन्य नेताओं के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उनके अपार योगदान के लिए आभारी होना चाहिए और उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए।''
असम में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के इतिहास का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि पुरानी इमारत राज्य की लोकतांत्रिक यात्रा की गवाह के रूप में खड़ी है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद से 75 वर्षों में, इमारत ने कई परिवर्तनकारी कानून देखे हैं जो चर्चा और संवाद का परिणाम थे। दिल्ली में संसद के नए भवन से तुलना करते हुए बिरला ने कहा कि असम विधानभवन न केवल ‘आत्मनिर्भर भारत' का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर असम का प्रतीक भी है।