ISRO ने रचा इतिहास! बाहुबली रॉकेट से लॉन्च हुआ नौसेना का खास सैटेलाइट, अब दुश्मनों को घेरना होगा आसान

punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 09:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत की अंतरिक्ष और रक्षा क्षमताओं में आज एक और बड़ा अध्याय जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारतीय नौसेना के लिए CMS-03 (GSAT-7R) कम्युनिकेशन सैटेलाइट को सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है। ये सैटेलाइट नौसेना के लिए अब तक का सबसे आधुनिक और शक्तिशाली सैटेलाइट माना जा रहा है, जो समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक भारत की निगरानी और संचार शक्ति को कई गुना बढ़ा देगा।

मिशन की सफलता: देश के लिए गर्व का पल
यह लॉन्च 2 नवंबर 2025 को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर (श्रीहरिकोटा) से शाम 5:26 बजे हुआ। इस सैटेलाइट को ISRO के “बाहुबली रॉकेट” यानी GSLV Mk-III (LVM3) से अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा गया। महीनों की तैयारी और परीक्षण के बाद इस मिशन को सफल बनाया गया, जिसे भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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GSAT-7R क्या है और कैसे करेगा काम?
➤ GSAT-7R एक कम्युनिकेशन (संचार) सैटेलाइट है, जिसे विशेष रूप से भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया है।
➤ यह नौसेना के जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और कमांड सेंटर्स के बीच तेज़, सुरक्षित और निरंतर संचार स्थापित करेगा।
➤ यह सैटेलाइट पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है — यानी यह 100% स्वदेशी तकनीक का प्रतीक है।

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सैटेलाइट की खास तकनीकी खूबियां
➤ वजन: लगभग 4400 किलोग्राम, यानी अब तक का भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट।
➤ संचार ट्रांसपोंडर्स: यह कई फ्रीक्वेंसी बैंड्स पर काम करेगा, जिससे वॉइस, वीडियो और डेटा ट्रांसफर तेज़ी से होगा।
➤ कवरेज एरिया: यह पूरे भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) को कवर करेगा, जिससे भारत की समुद्री सीमाओं पर निगरानी और सुरक्षा और मज़बूत होगी।
➤ हाई बैंडविड्थ क्षमता: इस सैटेलाइट से नौसेना के जहाजों और कंट्रोल रूम्स के बीच बिना किसी रुकावट के डेटा और वीडियो ट्रांसफर संभव होगा।


नौसेना को क्या मिलेगा फायदा?
GSAT-7R सैटेलाइट भारतीय नौसेना के लिए गेमचेंजर साबित होगा।
➤ स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन से अब जहाजों के बीच रियल-टाइम बातचीत और सूचना साझा करना आसान होगा।
➤ मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) यानी समुद्री इलाके में हर गतिविधि पर तुरंत नजर रखी जा सकेगी।
➤ दुश्मन की गतिविधियों पर सतर्क निगरानी रखी जाएगी, जिससे किसी भी खतरे का तुरंत जवाब दिया जा सके।
➤ विदेशी सैटेलाइट पर निर्भरता खत्म होगी, यानी भारत पूरी तरह आत्मनिर्भर बनेगा।


क्यों खास है यह लॉन्च?
आज जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है, ऐसे में यह सैटेलाइट भारत की समुद्री सुरक्षा नीति (Maritime Security Strategy) को नई मजबूती देगा।
नौसेना प्रमुखों ने इसे "राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मील का पत्थर" बताया है।


ISRO और रक्षा सहयोग का नया अध्याय
ISRO ने इससे पहले भी GSAT-7A (वायु सेना के लिए) और GSAT-7B (थल सेना के लिए प्रस्तावित) मिशनों पर काम किया है।
GSAT-7R इस श्रृंखला का सबसे उन्नत संस्करण है, जो रक्षा संचार नेटवर्क को सुरक्षित और मजबूत बनाएगा।


एक्सपर्ट की राय
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के जिंस विश्लेषक सुमिल गांधी के मुताबिक, “GSAT-7R भारत की रक्षा और तकनीकी क्षमता का प्रतीक है। इससे नौसेना के पास अब ऐसी संचार शक्ति होगी, जो किसी भी स्थिति में जानकारी को सुरक्षित रूप से ट्रांसफर कर सकेगी।”


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Content Editor

Mansa Devi

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