डोकलाम विवादः क्या सच में खत्म हो गया भारत-चीन टकराव ?

punjabkesari.in Tuesday, Aug 29, 2017 - 01:07 PM (IST)

बीजिंगः आखिर अढ़ाई महीने के बाद डोकलाम विवाद पर विराम लग गया। भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान  मुताबिक 72 दिन बाद भारत और चीन अपनी-अपनी सेनाएं हटाने को राजी हो गए हैं। हालांकि चीन की ओर से कहा गया है कि सिर्फ भारतीय जवान पीछे हटे हैं। उसके सैनिक इलाके में पैट्रोलिंग करते रहेंगे। चीन के इस फैसले के बाद सवाल उठता है कि क्या सच में डोकलाम को लेकर भारत-चीन में टकराव खत्म हो गया है। चीन के सिक्किम के डोकलाम इलाके में सड़क बनाने से इस विवाद की शुरुआत हुई थी। एक्सपर्ट के मुताबिक, दाेनों देशाें के बीच यह अब तक का सबसे लंबा टकराव रहा। इससे पहले 1962 में दोनों देशों की सेनाएं करीब एक महीने तक आमने-सामने रही थीं । 

1962 में क्यों हुआ था टकराव
अक्साई चीन और अरुणाचल बॉर्डर पर अंग्रेजों के वक्त से विवाद था। तिब्बत में बगावत हुई। दलाई लामा का भारत ने सपोर्ट किया जिससे चीन भड़क गया और नतीजन दोनों देशों में जंग हुई। इस जंग में 1383 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के  प्रधानमंत्री जबकि चीन में माओत्से तुंग प्रेसिडेंट थे। 
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2017 में इसलिए बढ़ा तनाव
 सिक्किम में चीन ने सड़क बनाना शुरू की तो भारत ने विरोध जताया  जिसपर चीन ने घुसपैठ कर दी।  चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए।   डोकलाम ट्राइजंक्शन से करीब 30 किलोमीटर ऊपर डोकला पठार और डोकलाम से 15 किलोमीटर नीचे तक के इलाके पर चीन अपना दावा करता रहा है। यहां की जियाेग्राफिक कंडीशन के आधार पर चीन कमजोर नहीं है।
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चीन अगर कह रहा है कि भारतीय सेना पीछे हटने काे तैयार हो गई है और उसकी सेनाएं वहां गश्त करती रहेंगी। इसका मतलब कि मौजूदा टकराव दूर हो गया है, लेकिन डोकलाम का विवाद बरकरार है। चीन पहले ही कह चुका था कि डोकलाम में भारत के 400 सैनिक थे, जिनमें से 300 लौट चुके हैं। कुल मिलाकर दोनों देशों में क्या समझौता हुआ है इस पर करीब एक हफ्ते में स्थिति साफ हो सकती है। मोदी ब्रिक्स समिट में जा सकते हैं, क्योंकि ये मल्टीलेट्रल प्लेटफॉर्म है। वन बेल्ट वन रोड समिट से भारत इसलिए दूर रहा था, क्योंकि ये चीन का प्रोजैक्ट था और सीपैक का हिस्सा था। ये भारत की सॉवरिनिटी के खिलाफ था।


 


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