खालिस्तानी ऐजेंडे को हवा दे रहा पाकिस्तान, ISI मुस्लिमों को सिखों के रूप कर रही इस्तेमाल !
punjabkesari.in Thursday, Mar 23, 2023 - 04:33 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान के ISI विंग द्वारा भारत के खिलाफ खालिस्तानी ऐजेंडे को गति देने के लिए नित नई साजिशें रची जा रहीं हैं। नेपाल कोरेस्पोंडेंट ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि ISI द्वारा खालिस्तान के संचालन के लिए अपनाई शीर्ष रणनीतियों में से एक मुसलमानों को सिखों के रूप में तैयार करना है ताकि बोगस आंदोलन में एक दृश्य प्रभाव पैदा किया जा सके। यही वजह है कि कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में ही नहीं, भारत में भी ये नकली सिख पकड़े गए हैं। उसने एक वीडियो भी शेयर किया है और लिखा है कि हालांकि ये यहां एक पुराना फुटेज है लेकिन हकीकत से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता और भारत में खासकर सिखो को अधिक सचेत होने की जरूरत है क्योंकि देश विरोधी ताकतों द्वारा उनके समुदाय की वेषभूषा का इस्तेमाल दुष्प्रचार के लिए किया जा रहा है।
दरअसल भारत में हिंदू-सिख संबंधों का इतिहास ऐसा है कि दो समुदायों के बीच हमेशा 'रोटी-बेटी' का रिश्ता रहा है। उनके पास मजबूत वैवाहिक और सामाजिक संबंध हैं। इसी को खालिस्तानी तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में, खालिस्तानी समूह भारत और विदेशों दोनों जगह अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं। इन घटनाओं के पीछे बाहरी ताकतें शामिल हैं जिनमें पाकिस्तान स्पष्ट रूप से शामिल हैं। हालांकि अमृतपाल सिंह के वारिस पंजाब दे के उदय के साथ अब इसका एक लोकल एंगल भी है। ये लोग हमारे सीमावर्ती राज्य में तबाही मचाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत के बाहर, हमारे राजनयिक मिशनों पर हमला किया गया है।
इसमें हाल ही में लंदन और सैन फ्रांसिस्को में भी शामिल है। ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों पर कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है। खालिस्तानी के सक्रियात में बढ़तोरी को नए संदर्भों में देखने की जरूरत है। साथ ही भारत के अंदर हिंसक गतिविधियों से मजबूती और सूक्ष्मता से निपटने की जरूरत है। वहीं, बाहर की गतिविधियों के संबंध में गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इनसे जल्दी नहीं निपटा गया तो इससे भारत और विदेशों में हिंदू-सिख सामाजिक संबंधों को भारी नुकसान हो सकता है। यहीं खालिस्तानी समूह चाहते हैं।
मोदी सरकार को सभी दलों को यह समझाकर इस आम सहमति को सुगम बनाना चाहिए कि यदि खालिस्तानी समूह फिर से जीवित हो जाते हैं, तो उनकी अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता कम हो जाएगी। विदेश ( ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में केंद्रित ) में खालिस्तानी सक्रियता को एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है। साथ ही कूटनीति हमारे दूतावासों की तत्काल सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी चिंताओं से निपटने के लिए काफी अच्छी है। हमें धारणाओं से परे भारत को कमजोर करने की वैश्विक साजिश के बारे में स्पष्टीकरण खोजने की जरूरत है।
विदेशों में खालिस्तानी तत्वों से निपटने के लिए एक सरल उपाय की आवश्यकता है। भारत में सिखों के साथ वास्तविक स्थिति क्या है, इस पर मीडिया, जनता और सांसदों के साथ अधिक समझदारी से बातचीत करना। भारत की तरफ से भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग किया जा सकता है। इसके तहत बड़ी भारतीय आबादी वाले क्षेत्र के सांसदों को भारत की तरफ से बोलने के लिए कहा जाना चाहिए। ऐसा होने के लिए, भारत को न केवल खालिस्तानी एक्टिविस्ट से जुड़ा सही डेटा और जानकारी प्रदान करनी चाहिए, बल्कि शांतिपूर्ण तरीके से समझाना भी चाहिए। खालिस्तानी हिंसा और विदेश में आक्रोश का एकमात्र जवाब एक प्रचार अभियान शुरू करना है जिससे सही तस्वीर सामने आ सके। सच्चाई की रोशनी ही है जो भारत में सिख उत्पीड़न के खालिस्तानियों के फर्जी नैरेटिव को खत्म कर देगी।
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