मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद क्या कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री के चेहरे पर फंस गई कांग्रेस?

punjabkesari.in Monday, May 15, 2023 - 05:24 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला है। कांग्रेस ने 224 विधानसभा सीटों में से 135 सीटों पर जीत दर्ज की है। लेकिन अब मुख्यमंत्री के नाम पर कांग्रेस फंसती नजर आ रही है। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया मुख्यमंत्री का नाम मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहा है। इससे पहले साल 2018 में कांग्रेस ने तीन राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में अपने दम पर बहुमत हासिल किया था और सरकार बनाई लेकिन मुख्यमंत्री और उसके नेताओं के बीच में विवाद सामने आते रहे।
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इस बीच डीके शिवकुमार ने यह कहकर सनसनी मचा दी है कि इससे पहले उन्होंने सिद्धरमैया को सीएम बनाने में सहयोग किया था। अब उम्मीद है कि वो भी ऐसा करेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा , ‘‘ इससे पहले कि मैं पार्टी की जिम्मेदारी लेता, दिनेश गुंडुराव साहब और सिद्दारमैया साहब - दोनों ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि यह उनके हाथ से बाहर है। इसके बाद सोनिया गांधी ने मुझे बुलाया और यह जिम्मेदारी दी।'' उन्होंने कहा ‘‘सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेताओं ने जेल में मुझसे मुलाकात की और मुझे ताकत दी। मैंने अपने लिए कुछ नहीं किया। मैंने इसे पार्टी के लिए किया है। दिन-रात मैंने कड़ी मेहनत की है और सभी को अपने साथ लिया। सभी ने सहयोग किया तथा इसी कड़ी मेहनत के कारण हम सत्ता पाने में कामयाब रहे।''
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शिवकुमार ने कहा, ‘‘ इससे पहले 2018 में मुझे मंत्री नहीं बनाया गया था, लेकिन मैंने अच्छा व्यवहार किया। मैंने तब सिद्दारमैया के लिए काम किया और मैं अपने लिए उनसे भी उम्मीद करता हूं।'' शिवकुमार ने हालांकि स्पष्ट किया कि उनके और सिद्दारमैया के बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि मेरे और उनके बीच मतभेद हैं, लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है।''
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क्या हुआ था मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को तीन राज्यों में अपने दम पर बहुमत मिला। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश राज्य थे। जहां छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 15 साल बाद सरकार बनाने के लिए बहुमत मिला था। इन तीनों ही राज्यों में बहुमत मिलने के बाद कांग्रेस को मुख्यमंत्री के लिए कई दिनों तक माथापच्ची करनी पड़ी। मध्य प्रदेश में एक ओर कमलनाथ और दूसरी तरफ सिंधिया मुख्यमंत्री पद के लिए ताल ठोक रहे थे। राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच कुर्सी को लेकर तनातनी शुरू हो गई।

इधर, छत्तीसगढ़ में टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर ठन गई थी। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने सभी नेताओं को दिल्ली बुलाकर मामला शांत कराया और बीच का रास्ता निकालने का प्रयास किया। राजस्थान में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। मध्य प्रदेश में कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि टीएस सिंह देव को स्वास्थ्य मंत्रालय समेत कुछ अहम मंत्रालय का दायित्व दिया गया।

MP में 15 महीने में ही गिर गई थी कमलनाथ सरकार
मध्य प्रदेश का चुनाव तत्कालीन मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की अगुवाई में लड़ा गया। लेकिन मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे चल रहा था। बहुमत मिलने के बाद कांग्रेस ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सिंधिया और उनके समर्थक नाराज हो गए। इसके 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से बगावत कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और उनके 22 विधायकों के समर्थन के साथ मध्य प्रदेश में भाजपा ने सरकार बना ली। भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा भेजकर केंद्र में मंत्री बना दिया।
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छत्तीसगढ़ में टीएस सिंह देव ने दिया स्वास्थ्य मंत्री पद से इस्तीफा
मध्य प्रदेश जैसा ही कुछ हाल छत्तीसगढ़ में हुआ। भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की चुनाव लड़ा और पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की। लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कांग्रेस में यहां भी पेंच फंस गया। भूपेश बघेल के साथ-साथ कांग्रेस से वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गए और उन्होंने भूपेश बघेल के सामने ताल ठोक दी। इससे कांग्रेस आलाकमान परेशान हो गया। कांग्रेस आलाकमान ने दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया और लंबी बातचीत के बाद दोनों नेताओं में सुलह कराने में सफल रहा। आलाकमान ने छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा दिया। भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया गया और टीएस सिंह देव को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। लेकिन भूपेश सरकार के ढाई साल पूरे होने के उन्होंने सीएम पद नहीं छोड़ा और बाद में टीएस सिंह देव काफी पीछे रह गए और उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
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राजस्थान में जारी है सचिन पायलट की बगावत
कुछ ऐसा ही हाल कांग्रेस का राजस्थान में हुआ, जहां सचिन पायलट की अगुवाई में पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ा। तब अशोक गहलोत दिल्ली में कांग्रेस के महासचिव थे। राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद सचिन पायलट युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय चेहरा बन गए थे और मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। लेकिन बाद में मामला दिल्ली दरबार में पहुंचा। जहां सोनिया गांधी के करीबी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाकर दिल्ली से राजस्थान भेजा गया और सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया।
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पायलट को डिप्टी सीएम के साथ साथ राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी भी दी गई। लेकिन सचिन पायलट ने साल 2020 में अपनी ही सरकार से बगावत कर दी। साल 2020 में सचिन पायलट अपने विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गई। उनपर आरोप लगे कि वह भाजपा के साथ मिलकर सरकार को गिराने का प्रयास कर रहे हैं। लंबी जद्दोजहद के बाद अशोक गहलोत ने सरकार तो बना ली और गहलोत ने सचिन पायलट को सभी पदों से हटा दिया। तब से लेकर अब तक सचिन पायलट अपनी सरकार के खिलाफ मुखरता से बोलते आ रहे हैं।


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Content Writer

Yaspal

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