सरकार की सख्ती रोकेगी नस्लवादी हमले

punjabkesari.in Wednesday, Jun 29, 2016 - 08:30 PM (IST)

आॅस्ट्रेलिया में भी विदेशी मूल के नागरिकों पर संकीर्ण राष्ट्रवाद और नस्लवादी हमले शुरू हो गए हैं। वहां की ग्रीन्स पार्टी से आगामी चुनाव लड़ रही एक सिख महिला नेता पर पर्चे के माध्यम से यह नस्ली हमला किया जाना चिंताजनक है। इसमें उनकी पृष्ठभूमि और मान्यताओं को निशाना बनाना हमलावरों की कैसी मानसिकता को दर्शाता है। वहां के लोगों के बढ़ रही असहिष्णुता को रोकने के लिए सरकार का कड़े कदम उठाने होंगे। अन्यथा चुनाव ज्यों-ज्यों नजदीक आते जाएंगे पर्चों के अलावा गाली-गलौच, भड़काऊ पोस्टर और मारपीट की घटनाओं को रोका नहीं जा सकेगा।  

हो सकता है कि वहां के लोगों को अपनी सरकार से कुछ मामले में नाराजगी हो, ऐसे में अप्रवासियों को निशाना बनाना उनके लिए आसान हो गया है। अभी यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि आॅस्ट्रेलिया में एक मस्जिद पर किसी ज्वलनशील पदार्थ से हमला कर दिया गया। उससे लगी एक दीवार पर स्प्रे से इस्लाम विरोधी संदेश भी लिखा गया। घटना के समय हुई जब वहां  सैकड़ों मुसलमान शाम की नमाज अदा कर रहे थे। इसे साफ तौर पर घृणा अपराध का मामला ही माना जाएगा। इबादत कर रहे लोगों पर हमला करने की कोई भी मजहब इजाजत नहीं देता।

प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल जोर देते हैं कि आॅस्ट्रेलिया की स्थापना एक मूल सिद्धांत पर हुई है, इसका आधार पारस्परिक सम्मान है। यह एक सैद्धांतिक नियम है। वहां ऐसी घटना होना निंदनीय है। अन्य धर्मों के लोगों पर हमले की यह पहली घटना नहीं है। आॅस्ट्रेलिया में कुछ महीने पहले नफरत भरी एक अन्य घटना बस में सफर कर रहे 13 साल के एक सिख स्कूली छात्र के साथ हो चुकी है। उस पर पगड़ी पहनने को लेकर हमला किया गया था। बस में दो किशोरों और एक किशोरी ने पहले उसका मजाक उड़ाया था।

दुखद बात यह है कि इस उपनगरीय बस में नफरत के कारण इस बच्चे पर चाकू से कथित वार करके डराया-धमकाया भी गया। उसकी पगड़ी खींच दी गई। सवाल है कि आॅस्ट्रलिया में बस में सफर करना अन्य धर्म के लोगों के  लिए सुरक्षित है। यह घटना एक बच्चे के साथ हुई संभव है कि यह दूसरों के साथ भी हो सकती है। यदि वहां किसी को अन्य धर्म से संबंधित जानकारी नहीं है तो उसे प्राप्त करने में क्या एतराज है। इससे उनका ज्ञान ही बढ़ेगा। क्यों वहां के लोगों में प्रवासियों के प्रति नफरत के बीज पनप रहे हैं ?

ग्रीन्स पार्टी से आगामी चुनाव लड़ रही एक सिख नेता को नस्ली परचे से निशाना बनाया गया है। दावा किया गया है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में इस पर्चे को बांटा गया। जबकि किसी भी देश में प्रवासियों के लिए चुनाव लड़ने की मनाही नहीं है। शायद स्थानीय लोगों को उनके राजनीतिक तौर पर भी  मजबूत होने का डर सताता रहता है। ऐसे हमलों से उन्हें कमजोर बनाने का प्रयास किया जाने लगा है।

एक बार आईएसआईएस में लिप्त होने की आशंका के चलते अधिकारियों ने पुलिस के साथ कई मुसलमानों के घरों पर छापा मारा। इन छापों के बाद खतरनाक प्रतिक्रिया यह हुई कि मुस्लिम विरोधी नफरत और फैल गई। एक मस्जिद को अपवित्र कर दिया गया। फुटबॉल खेलने गए लड़कों को धमकी दी गई, और एक महिला को ट्रेन से फेंक दिया गया। 

औस्ट्रेलिया सरकार को चाहिए कि वह अभी इन हमलों को रोकने के लिए कड़े प्रबंध करे, ताकि संकीर्ण और नस्लवादी तत्वों को किसी अन्य के साथ ज्यादती करने का मौका नहीं मिल पाए। साथ ही, वहां रहने वाले प्रवासियों को सुरक्षा का माहौल मिल सके। इस संबंध में बरती गई ढील किसी बड़ी घटना को जन्म दे सकती है।

 
 

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