भारतीय नेताओं के बजाय पाकिस्तानी सेना से निपटना आसान: जनरल हुड्डा

punjabkesari.in Saturday, Feb 23, 2019 - 06:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: उरी हमले के बाद सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के मुख्य रणनीतिकार रहे पूर्व ले.जनरल डी एस हुड्डा ने आज कहा कि नेताओं में अपनी पहचान बनाने के लिए उप-राष्ट्रीयता को उभारने और सस्ती लोकप्रियता का चलन बढ़ा है जिससे देश में ध्रुवीकरण बढ़ सकता है तथा अशांति पैदा हो सकती है। ले. जनरल हुड्डा ने आज लाल बहादुर शास्त्री प्रबंधन संस्थान में भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों के बारे में व्याख्यान देते हुए यह बात कही। 

नेताओं में सस्ती लोकप्रियता का बढ़ा चलन
ले. जनरल ने प्रबंधन छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पहचान आधारित टकराव एक बड़ी समस्या का रूप ले सकता है। नेताओं में क्षेत्रीयता और सस्ती लोकप्रियता का चलन बढा है जिससे ध्रुवीकरण बढ सकता है और अशांति फैल सकती है। इसे बड़ी समस्या बताते हुए उन्होंने व्यंग्य किया कि इनसे (नेताओं) निपटने के बजाय पाकिस्तानी सेना से निपटना आसान है। 

देश के सामने कई चुनौतियां 
हुड्डा ने कहा कि दिवंगत लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि हर राष्ट्र के सफर में एक ऐसा मुकाम आता है जब वह इतिहास के चौराहे पर खड़ा होता है और उसे तय करना होता है कि किस ओर जाना है। उन्होंने कहा कि पहचान के लिए राजनीति, असमानता, आर्थिक परेशानियां ,जलवायु परिवर्तन, सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी से जुड़े खतरे देश के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। 

युवा देश में ला सकता है बदलाव 
ले. जनरल ने कहा कि देश ऐसे मुकाम पर है जहां से हमें तय करना है कि हमें किधर जाना है । इन समस्याओं का समाधान सुशासन से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश का भविष्य उज्जवल है लेकिन इन समस्याओं के चलते अनिश्चितता भी बनी हुई है। वह एक बात निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि युवा इसमें बदलाव ला सकते हैं लेकिन उन्हें तय करना है कि वे समावेशी भारत चाहते हैं या अलग-अलग धाराओं में बंटा देश चाहते हैं।
 


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vasudha

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