Infosys को 2015 में भी जारी हुआ था 3,700 करोड़ का Income Tax Notice, केस अभी भी जारी
punjabkesari.in Wednesday, Jul 31, 2024 - 10:04 PM (IST)
नेशनल डेस्क : इंफोसिस को 2015 में आयकर विभाग द्वारा 3,700 करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया गया था, और यह मामला आज भी अदालत में लंबित है। आइए जानते हैं इस नोटिस के जारी होने के पीछे की वजह, मामले का घटनाक्रम और वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से।
नोटिस जारी होने की वजह: 2015 में, आयकर विभाग ने इंफोसिस को 3,700 करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया। इस नोटिस में आरोप लगाया गया कि कंपनी ने विदेशों में अर्जित आय पर सही तरीके से कर का भुगतान नहीं किया और कर अदायगी में गड़बड़ी की थी। विभाग का कहना था कि इंफोसिस ने विदेशी परियोजनाओं से प्राप्त आय पर छूटों का गलत तरीके से लाभ उठाया।
मामले का घटनाक्रम: नोटिस जारी होना: 2015 में, आयकर विभाग ने इंफोसिस को नोटिस भेजा और उनसे विदेशों में अर्जित आय और कर भुगतान के बारे में स्पष्टीकरण मांगा। विभाग ने दावा किया कि कंपनी ने कर नियमों का उल्लंघन किया है।
इंफोसिस की प्रतिक्रिया: इंफोसिस ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि कंपनी ने सभी कर कानूनों का पालन किया है और कोई गड़बड़ी नहीं की है। उन्होंने विभाग के साथ सहयोग किया और सभी आवश्यक दस्तावेज और स्पष्टीकरण प्रस्तुत किए।
विवाद और अपील: इंफोसिस ने आयकर विभाग के दावों को चुनौती दी और मामले को कर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) में ले जाने का निर्णय लिया। कंपनी ने अपनी दलीलों में कई कानूनी तर्क प्रस्तुत किए और आरोपों को बेबुनियाद बताया।
वर्तमान स्थिति: 2024 तक, यह मामला अभी भी अदालत में लंबित है। ITAT ने अब तक इस मामले पर अंतिम निर्णय नहीं दिया है। इंफोसिस और आयकर विभाग दोनों ने अपने-अपने पक्ष में मजबूत दलीलें दी हैं। यदि किसी पक्ष को ITAT का निर्णय अस्वीकार्य लगता है, तो मामला उच्च न्यायालय तक भी जा सकता है।
मामले का प्रभाव: यह मामला भारतीय कॉर्पोरेट जगत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। इससे अन्य कंपनियों को कर नियमों के पालन में अधिक सतर्क रहने की प्रेरणा मिली है। इंफोसिस ने इस विवाद के बाद अपने कर और वित्तीय प्रक्रियाओं में सुधार किया है ताकि भविष्य में ऐसे मामलों से बचा जा सके।
निष्कर्ष: इंफोसिस को 2015 में जारी आयकर नोटिस और उसके बाद की कानूनी लड़ाई भारतीय कर प्रशासन और कॉर्पोरेट क्षेत्र के बीच एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनी हुई है। मामले की वर्तमान स्थिति अस्पष्ट है, और इसका अंतिम निर्णय आने वाले समय में होगा, जो भारतीय कर प्रशासन के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है।