$850 में शादी, सुहागरात और तलाक – सब कुछ ''कानूनी''! जानिए कहां चल रहा है ये चौंकाने वाला रिश्ता बिज़नेस
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 07:36 AM (IST)

नई दिल्ली – दुनिया भर में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है – जहां रिश्ते उम्रभर के लिए निभाए जाते हैं। लेकिन इंडोनेशिया के एक पहाड़ी इलाके में शादी का मतलब बिल्कुल अलग है। यहां विवाह एक समझौता बन गया है – कुछ घंटों या दिनों का रिश्ता, फिर तलाक, और इसके बदले में मोटी रकम। यह कहानी है इंडोनेशिया के पुनक (Puncak) इलाके की, जहां एक अनोखी और विवादास्पद परंपरा चल रही है – जिसे स्थानीय तौर पर "निकाह मुताह" या "प्लेजर मैरिज" कहा जाता है।
क्या है 'निकाह मुताह'?
'निकाह मुताह' एक अस्थायी विवाह प्रथा है, जिसकी जड़ें इस्लामिक इतिहास में बताई जाती हैं, लेकिन अब यह टूरिज्म और मुनाफे का जरिया बन चुकी है। खासकर विदेशी पर्यटक यहां आते हैं, स्थानीय युवतियों से कुछ दिनों के लिए शादी करते हैं, उनके साथ समय बिताते हैं और फिर तलाक देकर लौट जाते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया को 'लीगल दिखाने' के लिए धार्मिक रीति-रिवाजों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन असल में यह एक अस्थायी और आर्थिक लेन-देन आधारित व्यवस्था है।
कोई कानूनी रोक नहीं, न कोई सख्त कार्रवाई
इंडोनेशिया के कानून में इस तरह की शादियों को आधिकारिक मान्यता नहीं है, लेकिन फिर भी यह चलन जोर पकड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन की ढीली निगरानी और धर्म के नाम पर हो रही छूट के कारण यह प्रथा खुलेआम फल-फूल रही है। कई गांवों को अब 'डिवोर्स्ड विलेजेस' (तलाकशुदा गांव) कहा जाने लगा है, क्योंकि वहां की कई लड़कियां बार-बार इस तरह की अस्थायी शादी कर चुकी हैं।
कितना खर्च करता है टूरिस्ट?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक विदेशी पर्यटक ने सिर्फ कुछ दिन की शादी के लिए एक 17 वर्षीय लड़की को लगभग 850 डॉलर (करीब ₹73,000) दिए। यह रक़म लड़की के परिवार को दी जाती है, और शादी से पहले कोई खास कागजी प्रक्रिया भी नहीं होती।
स्थानीय लड़कियों की मजबूरी या मजबूरन सौदा?
इस प्रथा को लेकर चिंता इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि इसमें शामिल ज्यादातर लड़कियां गरीब पृष्ठभूमि से आती हैं। उनके पास शिक्षा या बेहतर रोजगार के अवसर नहीं हैं, और यही आर्थिक तंगी उन्हें ऐसे अस्थायी रिश्तों में धकेल देती है।
धर्म बन गया बहाना, कारोबार बन गई शादी
जहां धर्म में विवाह को जीवन भर निभाने की कसौटी माना गया है, वहीं इस प्रथा में विवाह को पर्यटन और पैसे कमाने का टूल बना दिया गया है। धार्मिक रस्में निभा दी जाती हैं, जिससे लोगों को भ्रम होता है कि सबकुछ सही तरीके से हो रहा है।