'भारत की ईरान से पुरानी मित्र और इजरायल के साथ मजबूत रणनीतिक रिश्ते', ईरान-इजरायल जंग पर बोली सोनिया गांधी
punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 12:15 PM (IST)

नेशनल डेस्क : ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव पर अपनी राय रखते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिखा है। उन्होंने भारत की भूमिका को लेकर कई अहम बातें कही हैं और केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल भी उठाए हैं।
भारत-ईरान के रिश्ते मजबूत: सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि ईरान भारत का पुराना और भरोसेमंद मित्र रहा है। दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक और गहरे रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 1994 में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग में कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव ईरान की मदद से रोका गया था। उस समय ईरान ने भारत का समर्थन कर अहम भूमिका निभाई थी।
भारत-इजरायल में भी हैं रणनीतिक साझेदारी
सोनिया गांधी ने कहा कि भारत और इजरायल के बीच भी पिछले कुछ दशकों में मजबूत रणनीतिक रिश्ते बने हैं। उन्होंने लिखा कि भारत की यह विशेष स्थिति उसे एक 'सेतु' यानी पुल की भूमिका निभाने का मौका देती है, जिससे वह इस क्षेत्र में तनाव को कम करने और शांति की दिशा में प्रयास कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम एशिया में लाखों भारतीय काम कर रहे हैं, इसलिए इस क्षेत्र की शांति भारत के राष्ट्रीय हित से जुड़ा मुद्दा है।
Sharing an excerpt from CPP Chairperson, Smt. Sonia Gandhi’s piece in @the_hindu today, elucidating and reiterating the Congress party’s stand on our Foreign Policy in West Asia —
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 21, 2025
‘Iran has been a long-standing friend to India and is bound to us by deep civilisational ties. It… pic.twitter.com/AO0XjkBpNW
मोदी सरकार पर फिलिस्तीन को लेकर निशाना
अपने लेख में सोनिया गांधी ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि भारत लंबे समय से एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा रहा है, जो इजरायल के साथ शांतिपूर्वक रह सके। लेकिन मौजूदा सरकार ने इस सिद्धांतवादी नीति से किनारा कर लिया है, जो बेहद चिंताजनक है।
भारत की चुप्पी पर उठाए सवाल
सोनिया गांधी ने कहा कि गाजा में जारी मानवीय संकट और ईरान के खिलाफ बढ़ते तनाव को लेकर भारत की चुप्पी उसकी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से मेल नहीं खाती। उन्होंने लिखा, 'अभी बहुत देर नहीं हुई है। भारत को चाहिए कि वह स्पष्ट रूप से अपनी बात रखे, जिम्मेदारी से काम करे और सभी कूटनीतिक माध्यमों का इस्तेमाल करे ताकि तनाव को कम किया जा सके और बातचीत का रास्ता खोला जा सके।'
मल्लिकार्जुन खरगे ने किया समर्थन
सोनिया गांधी के इस लेख को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर साझा किया है। उन्होंने भी सोनिया गांधी के विचारों का समर्थन करते हुए सरकार से विदेश नीति को संतुलित और नैतिक आधार पर चलाने की मांग की है।