इलेक्शन डॉयरी: इंदिरा गांधी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण से बदली आर्थिकता की तस्वीर
punjabkesari.in Tuesday, Apr 09, 2019 - 12:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क(नरेश कुमार): देश की आजादी के बाद भाखड़ा बांध के निर्माण और हरित क्रांति के बाद तीसरा बड़ा फैसला था बैंकों का राष्ट्रीयकरण और यह फैसला किया प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने। इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई, 1969 को देश के 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इससे पहले ये बैंक निजी उद्योगपतियों द्वारा चलाए जा रहे थे। दूसरे चरण में 15 अप्रैल, 1980 को 6 और व्यावसायिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद 90 फीसदी बैंकों पर सरकार का नियंत्रण हो गया था।
इससे पहले 1 जुलाई, 1955 को देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका था। जिन बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया उनमें सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ोदा, यूनाइटेड कमर्शियल बैंक, केनरा बैंक, यूनाइटिड बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, सिंडीकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक तथा बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल थे।
इन बैंकों के राष्ट्रीयकरण करने की मुख्य वजह बड़े व्यावसायिक बैंकों द्वारा अपनाई जाने वाली ‘क्लास बैंकिंग’ की नीति थी। बैंक केवल धनपतियों को ही कर्ज अथवा बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाते थे तथा साधारण व्यक्ति को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी लेकिन इंदिरा गांधी ने एक अध्यादेश के जरिए ही 50 करोड़ से अधिक की जमा राशि वाले 14 बैंकों का स्वामित्व सरकार के अधिकार में ले लिया।
सरकार के इस फैसले के बाद बैंकर सुप्रीम कोर्ट गए और अदालत ने फैसला बैंकर के पक्ष में दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संविधान में 25वां संशोधन करके सरकार ने बैंकों का स्वामित्व हासिल किया। इस फैसले से देश की आॢथकता की तस्वीर बदल गई क्योंकि बैंक अब आम आदमी के लिए खुल गया था और लोगों को रोजगार के लिए कर्ज मिलने शुरू हो गए और बैंकों के दरवाजे खुलने के बाद लोगों ने उद्योग धंधे शुरू किए जिससे देश की तरक्की को नई रफ्तार मिलनी शुरू हो गई।