दिसंबर में भारतीय बाजारों में तेजी: विदेशी निवेश और अमेरिकी फेड रेट में कटौती की उम्मीद
punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2024 - 10:06 AM (IST)
नेशनल डेस्क। दिसंबर में भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। इस उछाल का मुख्य कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की खरीदारी है जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित ब्याज दर कटौती की उम्मीद में भारतीय बाजारों में फिर से सक्रिय हो गए हैं।
FPI की दिसंबर में बड़ी वापसी
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने दिसंबर में अब तक भारतीय इक्विटी में ₹14,435 करोड़ का निवेश किया। यह आंकड़ा नवंबर और अक्टूबर के विपरीत है जब एफपीआई ने भारी बिकवाली की थी।
- नवंबर 2023: ₹21,612 करोड़ की बिकवाली।
- अक्टूबर 2023: ₹94,017 करोड़ का रिकॉर्ड बहिर्प्रवाह।
- इसके अलावा एफपीआई ने इस महीने ₹8,330 करोड़ का निवेश आईपीओ (एंकर आवंटन और क्यूआईबी रूट के जरिए) में भी किया।
- कुल एफपीआई प्रवाह: दिसंबर में ₹22,765 करोड़ तक पहुंच गया है।
FPI की सतर्कता
हालांकि दिसंबर में एफपीआई ने बड़े पैमाने पर निवेश किया है लेकिन वे उच्च स्तर पर बिकवाली भी कर रहे हैं।
- उदाहरण: 12 दिसंबर को एफपीआई ने ₹3,560 करोड़ के शेयर बेचे।
- विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण एफपीआई मुनाफावसूली कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. वी.के. विजयकुमार (जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज):
- एफपीआई उच्च स्तर पर बिकवाली कर रहे हैं।
- भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है, जिससे एफपीआई बिकवाली की ओर रुख कर सकते हैं।
विपुल भोवर (वॉटरफील्ड एडवाइजर्स):
हालिया तेजी कई सकारात्मक कारकों का परिणाम है:
: राजनीतिक स्थिरता
: कॉर्पोरेट आय में सुधार
: विदेशी निवेश का बढ़ना
: बाजार में व्यापक भागीदारी
: उन्होंने बताया कि दिसंबर में भारतीय बाजार ऐतिहासिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करता रहा है
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का प्रभाव:
: हाल ही में RBI ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में कटौती की।
: इससे बाजार में नकदी की स्थिति और निवेशकों की धारणा में सुधार हुआ।
: इसके अलावा भारत की मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.48% हो गई, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
2025 का आर्थिक दृष्टिकोण
विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था मध्यम वृद्धि दर्ज कर सकती है। हालांकि इस वृद्धि के रास्ते में कई चुनौतियां हैं।
प्रमुख चुनौतियां:
- शहरी मांग में कमजोरी:
: बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति और स्थिर वेतन के कारण शहरी मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता:
: बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का असर भारत के निर्यात और विदेशी निवेश पर पड़ सकता है।
रोजगार का मुद्दा:
: रोजगार सृजन की गति बढ़ती जनसंख्या के अनुसार नहीं है, जिससे बेरोजगारी बढ़ने और उपभोक्ता विश्वास में कमी आने की संभावना है।
सकारात्मक पहलू:
: केंद्रीय बैंकों द्वारा नीतियों में राहत देने से उधार लेने की लागत कम हो सकती है।
: बेहतर निवेशक भावना और बाजार में नकदी की स्थिति सुधारने से आर्थिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं।
अंत में बता दें कि दिसंबर में भारतीय शेयर बाजार में तेजी ने निवेशकों को आकर्षित किया है लेकिन यह रुझान पूरी तरह स्थिर नहीं है। 2025 के लिए सतर्क आशावाद की उम्मीद की जा रही है जहां सकारात्मक निवेशक भावनाओं के साथ-साथ आर्थिक चुनौतियों से निपटना जरूरी होगा।