भारतीय दूत ने चीन को लगाई फटकार, कहा- "सीमा प्रबंधन में पैदा न करें भ्रम"

punjabkesari.in Sunday, Sep 26, 2021 - 04:06 PM (IST)

बीजिंगः सीमा विवाद के चलते  भारत और चीन के बीच तनातनी का दौर जारी है।  दुनिया के सामने सुलह का दिखावा करने वाला चीन अपनी भारत विरोधी  गतिविधयों से बाज नहीं आ रहा।  चीन की इन्हीं हरकतों का कड़ा संज्ञान लेते हुए भारत ने ड्रेगन को आडे़ हाथों लेते हुए  ‘‘गोलपोस्ट न बदलने’’ और सीमा मामलों के प्रबंधन में ‘‘भ्रम’’ पैदा न करने तथा सीमा के सवाल को हल करने के वृहद मुद्दे के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने को कहा है। पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में पैदा हुए गतिरोध के बाद भारत लगातार कहता रहा है कि सीमावर्ती इलाकों में शांति दोनों देशों के संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है।

 

चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने 23 सितंबर को चीन-भारत संबंधों पर चौथे उच्च स्तरीय ट्रैक-2 संवाद में कहा कि पड़ोसी होने के अलावा भारत और चीन बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं एवं ‘‘मतभेद तथा समस्याएं होना असामान्य नहीं है’’। मिसरी ने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इनसे कैसे निपटा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि हमारी सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए नतीजे तार्किकता, परिपक्वता और सम्मान पर आधारित हो।’’ मिसरी के अलावा भारत में चीन के राजदूत सुन वीदोन्ग ने भी बैठक में भाग लिया।

 

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को हल करने के लिए दोनों पक्षों के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच कई दौर की बैठकों समेत पिछले साल से लेकर अब तक दोनों देशों द्वारा किए गए ‘बहुआयामी संवाद’ का जिक्र करते हुए मिसरी ने कहा, ‘‘इन बैठकों से जमीनी तौर पर अच्छी-खासी प्रगति हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल जुलाई में गलवान घाटी में सेना हटाने के बाद से दोनों पक्ष फरवरी 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारों तथा हाल में अगस्त 2021 में गोगरा से सेना हटा पाए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाकी के स्थानों के संबंध में दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है और हम उम्मीद करते हैं कि बाकी के टकराव वाले इलाकों में सेना हटाने से हम ऐसी स्थिति में पहुंच जाएंगे जहां हम द्विपक्षीय सहयोग की राह पर बढ़ सकते हैं।’’

 

भारतीय राजदूत ने कहा, ‘‘पिछले डेढ़ साल में इस बहुआयामी संवाद के अनुभव से मुझे यकीन हुआ है कि जब द्विपक्षीय संबंधों में तनावपूर्ण मुद्दों को हल करने की बात आती है तो हम काफी सक्षम हैं। हमारे नेताओं ने पहले भी माना है कि हमें मुद्दों पर शांतिपूर्ण तरीकों, मतभेदों को विवादों में बदलने से रोकने और सबसे महत्वपूर्ण हमारे सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने पर काम करना चाहिए।’’ गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताकर अपना दावा करता है जिसे भारत दृढ़ता से खारिज करता है। मिसरी ने यह भी कहा कि चीन को पारस्परिक चिंताओं और संवेदनशील मुद्दों पर एकतरफा राय नहीं रखनी चाहिए। 


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Content Writer

Tanuja

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