तिब्बत कार्ड'' पर चीन-अमेरिका में टकराव, नए दलाई लामा के चयन को लेकर बढ़ेगा तनाव

punjabkesari.in Friday, Apr 16, 2021 - 05:09 PM (IST)

बीजिंगः चीन-अमेरिका में  तिब्बत को लेकर टकराव बढ़ता जा रहा है।  मुद्दा है  तिब्बत में नए दलाई लामा का चुनाव। वर्तमान दलाईलामा तेनजिन ग्यात्सो, जिन्हें  14वें दलाई लामा के नाम से जानते हैं, इस साल जुलाई में 86 साल के हो जाएंगे। उनकी बढ़ती उम्र और खराब होती सेहत के बीच  नए दलाई लामा के चयन को लेकर घमासान मचा हुआ है। तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा को एक जीवित बुद्ध माना जाता है जो उनकी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेते हैं। परंपरागत रूप से जब किसी बच्चे को दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में चुन लिया जाता है तब वह अपनी भूमिका को निभाने के लिए धर्म का विधिवत अध्ययन करता है। वर्तमान दलाई लामा की पहचान उनके दो साल के उम्र में की गई थी।

 
लेकिन अब दलाई लामा के चयन को लेकर चीन अड़ंगे लगा रहा है । चीन ने संकेत दिए हैं कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन  तिब्बत नहीं चीन ही करेगा जबकि तिब्बत इसका सख्त विरोध कर रहा है। तिब्बत के इस विरोध में अमरिका साथ दे रहा है जिससे चीन भड़का हुआ है। चीन की चालाकियों को देखते हुए दलाई लामा के नजदीकियों ने बताया कि अगर चीन का यही रवैया रहा तो वे परंपरा को तोड़ते हुए खुद अपने उत्तराधिकारी का चयन कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो एशिया में तनाव बढ़ना लाजिमी है। अमेरिका पहले ही इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सामने रखने की मांग कर चुका है। इस पूरे मामले पर अमेरिका और भारत की  पैनी नजर है । दलाई लामा को लेकर अमेरिका और चीन में काफी समय से विवाद जारी है।

 

वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन तिब्बत में चीन के मानवाधिकार हनन को लेकर काफी मुखर हैं। तिब्बत और शिनजियांग को लेकर अमेरिका ने चीन पर कई कड़े प्रतिबंध भी लगाए हुए हैं। 2020 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बौद्ध धर्म के सर्वोच्च धर्मगुरु के चयन में चीनी हस्तक्षेप को रोकने के लिए नई तिब्बत नीति (तिब्बती नीति एवं समर्थन कानून 2020) को मंजूरी दी थी। इसमें तिब्बत में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास स्थापित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की बात की गई है। पिछले साल ही अमेरीकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की थी।  दलाई लामा से मीटिंग के बाद ब्राउनबैक ने कहा था कि दोनों के बीच उत्तराधिकारी के मामले पर लंबी चर्चा हुई थी।

 
दलाई लामा के 2019 में बयान दिया था कि उनका उत्तराधिकारी कोई भारतीय हो सकता है। इस बात पर चीन को मिर्ची लग गई थी। उसने कहा था कि नए लामा को उनकी सरकार से मान्यता लेनी ही होगी। तिब्बती समुदाय के अनुसार लामा, ‘गुरु’ शब्द का मूल रूप ही है। एक ऐसा गुरु जो सभी का मार्गदर्शन करता है लेकिन यह गुरु कब और कैसे चुना जाएगा, इन नियमों का पालन आज भी किया जाता है। कहा जाता है कि जब तिब्बत पर चीन ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया था, तब 1959 में अमेरिकी खुफिया एजेंटों ने तत्कालीन दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश के जरिए भारत पहुंचा दिया था। आज भी दलाई लामा और तिब्बत की पूरी निर्वासित सरकार हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहती है। इस बात को लेकर चीन कई बार नाराजगी भी जता चुका है।

 
 

 


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Content Writer

Tanuja

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